प्रस्तावित राष्ट्रीय मुनाफाखोरी निरोधक प्राधिकरण के पास मुनाफाखोरी में संलिप्त पाई जाने वाली किसी फर्म या इकाई का रजिस्ट्रेशन कैंसल करने का अधिकार होगा. तय नियम के अनुसार अगर कोई कंपनी या इकाई गुड्स एंड सर्विस (जीएसटी) प्रणाली के तहत निम्न करों का फायदा उपभोक्ताओं को देने में विफलरहती है तो यह प्राधिकार उसका पंजीकरण रद्द कर सकता है.
नये टैक्स सिस्टम में यह कदम कराधान में कमी को देखते हुए कीमत घटाने का आदेश दे सकता है. सरकार ने प्रस्तावित प्राधिकरण से जुड़े नियम जारी कर दिए हैं. इसके अनुसार निम्न करों का फायदा ग्राहकों तक नहीं पहुंचाए जाने पर प्राधिकार अवांछित मुनाफा 18 फीसदी ब्याज के साथ लौटाने को कहा जा सकता है.
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हालांकि प्राधिकरण यह कदम स्वत: संग्यान से या अपनी तरफ से नहीं उठा सकेगा. इस प्राधिकरण का कार्यकाल दो साल का होगा बशर्ते जीएसटी परिषद उसेआगे नहीं बढ़ाती है. गौरतलब है कि केन्द्र सरकार को उम्मीद है कि जीएसटी से देश में कर चोरी पर लगाम लगेगी और लंबी अवधि में करदाताओं की संख्या में बड़ा इजाफा देखने को मिलेगा. फिलहाल देश में कुल 65 लाख करदाता पहले ही रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं और अन्य के इससे जुड़ने की उम्मीद है.
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जीएसटी को 1 जुलाई से ही लागू करने के फैसले पर बोलते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली कह चुके हैं कि जब बड़े आर्थिक सुधारों को लागू किया जाता है, पहला सिद्धांत है यह है आपको पीछे नहीं हटना चाहिए, यदि आप पीछे होंगे तो पटरी से उतर जाएंगे. जेटली के मुताबिक केन्द्र सरकार ने देश में सभी कारोबारियों को बीते 6 महीने से 1 जुलाई की तारीख दे रखी है, लिहाजा अब किसी हालत में इस तारीख को बदला नहीं जाएगा. हालांकि देश में कारोबारियों की दिक्कतों को देखते हुए केन्द्र सरकार पहले ही शुरूआती रिटर्न फाइल करने के लिये तारीख में छूट दे चुकी है और व्यापारियों तथा कंपनियों के पास 5 सितंबर तक का समय है जबकि पहले पहले यह समयसीमा 10 अगस्त थी.