नई दिल्ली। यूपी चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) गंठबंधन को लेकर तैयार हैं लेकिन सीटों के बंटवारे को लेकर पेंच अब भी फंसा हुआ है। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए कांग्रेस और रालोद के बीच चर्चा जारी है। कहा जा रहा है कि अखिलेश यादव कांग्रेस और रालोद को 403 में से केवल 100 सीटें देने को तैयार हैं जिनमें से 20 रालोद के लिए हैं। हालांकि रालोद की मांग 35 सीटों की है और इसे लेकर पेंच फंस गया है। खबर यह भी है कि कांग्रेस की नजर मुलायम सिंह की छोटी बहू अपर्णा की सीट पर है जिसे लेकर सहमति नहीं बनी है।
जानिए किस-किस पार्टी से गठबंधन कर सकते हैं अखिलेश, किसे कितनी सीटें?
संख्या और मर्जी की सीटों पर नहीं सहमति
खबरों के अनुसार सपा और कांग्रेस में सीटों की संख्या और मर्जी की सीटों को लेकर सहमति नहीं बनी है। जिस सीट पर भाजपा में शामिल हो चुकी रीता बहुगुणा ने कांग्रेस में रहते जीत दर्ज की थी उस पर सपा ने अपर्णा को उम्मीदवार घोषित किया है जबकि कांग्रेस भी यही सीट चाहती है। कांग्रेस के एक सीनियर नेता ने कहा कि ‘हमें हमारी मर्जी से सीटें नहीं मिल रही हैं।’
एक ही पोस्टर में अखिलेश और राहुल
सपा और कांग्रेस पहले ही इस बात की पुष्टि कर चुकी हैं कि उनका गठबंधन होगा। बड़े नेताओं के बयानों के बाद अब वाराणसी में राहुल गांधी और अखिलेश यादव एक ही पोस्टर में नजर आए। इस पोस्टर में जहां राहुल गांधी को उनके समर्थकों ने कृष्ण के रूप में दिखाया है वहीं अखिलेश अर्जून के रूप में नजर आ रहे हैं।
यह है सीटों को लेकर पेंच
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस गठबंधन के लिए 100 सीटें चाहती है वहीं सपा पिछले चुनाव के नतीजों को देखते हुए केवल 59 सीटों पर कांग्रेस की दावेदारी को मजबूत मान रही है। दूसरी तरफ रालोद की 35 सीटों की मांग भी उसे जायज नहीं लग रही है। इस बीच खबर यह भी है कि सपा को रालोद से गठबंधन के बाद मुस्लिम वोटों के खिसकने का डर पैदा हो गया है ऐसे में वो केवल कांग्रेस से ही गठबंधन को तवज्जो दे रही है। सपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा के मुताबिक गठबंधन के लिए सिर्फ कांग्रेस से बातचीत चल रही है. उनका कहना है कि रालोद से कोई बात नहीं हो रही है।
एक-दूसरे की सीटों पर नजर
गठबंधन करने में एक और समस्या यह आ रही है कि कांग्रेस सपा और रालोद एक दूसरे की पारंपरिक सीटों पर नजर गढ़ाए हुए है। जहां कांग्रेस की अमेठी और रायबरेली की सीटों पर मामला उलझ गया है क्यों कि कांग्रेस इन्हें चाहती है वहीं सपा का मानना है कि पिछले चुनाव में कांग्रेस इन दोनों जिलों की 10 सीटों में से केवल दो पर जीती थी। वहीं रालोद की निगाह सपा की तीन सिटिंग सीटों मेरठ की सिवालखास, मुजफ्फरनगर की बुढ़ाना व हाथरस की सादाबाद पर भी है। सपा इन्हें छोड़ने को तैयार नहीं है।
दंगों से नुकसान की भरपाई की कोशिश
लोकसभा चुनाव में भाजपा से झटका झेल चुकी सभी पार्टियां फिलहाल मुजफ्फरनगर दंगों के चलते मुस्लिम वोट खिसकने से डरी हुई हैं। दंगों और अखलाक कांड की वजह से सपा को डर है कि उसका मुस्लिम वोट बैंक खिसक सकता है जिसका फायदा लेने के लिए बसपा तैयार है। ऐसे में उसे कांग्रेस जैसे दलों की जरूरत है जो सेक्यूलर पार्टी की छवि लिए हुए है।