राजभवन के पास लूट और हत्या के अगले ही दिन दैनिक जागरण की टेस्ट रिपोर्ट में पुलिस की मुस्तैदी की कलई खुल गई। घटना के बाद डीजीपी से लेकर सभी बड़े अफसरों ने मौके पर पहुंचकर राजभवन रोड पर चाकचौबंद सुरक्षा का दावा किया था, लेकिन 24 घंटे बाद ही उनके सारे दावे हवाहवाई साबित हुए।
वारदात के समय पौने चार बजे से घंटेभर हजरतगंज चौराहे से बंदरियाबाग चौराहे तक संवाददाता ने पड़ताल की। यहां सुरक्षा को लेकर संख्या से कम पुलिसकर्मी नजर आए, जो थे भी उनमें कोई आराम कर रहा था या तो कोई मोबाइल फोन में गेम खेल रहा था। शाम 4:35 के करीब राजभवन से राज्यपाल की फ्लीट निकली तब पुलिस और ट्रैफिककर्मी सक्रिय नजर आए, लेकिन उनके निकलने के बाद फिर सारी मुस्तैदी धराशाई हो गई। पड़ताल के दौरान हजरतगंज चौराहे पर एक भी ट्रैफिक और पुलिसकर्मी नजर नहीं आया, कुछ पुलिसकर्मी थे भी तो वह किनारे बने बूथ में कुर्सी पर आराम फरमा रहे थे।
आगे राजभवन के गेट के सामने राज्यपाल के सुरक्षा में तैनात निहत्थे सिपाही इंद्रपाल और रामबली राज्यपाल की फ्लीट निकलने के बाद बाइक पर आराम से बैठकर गप्प मार रहे थे। वहीं पास में बैठै एक दारोगा मोबाइल फोन में व्यस्त थे। फोटो खींचता देख उन्होंने कहा कि आप लोग आराम भी नहीं करने देते। आगे घटनास्थल के सामने एक्सिस बैंक के बाहर कोने में साइकिल पथ में निहत्थे दीवान रवींद्र पाल बाइक पर आराम से बैठे मोबाइल फोन में व्यस्त थे और दूसरा दीवान परमात्मा दीन पिलर पर बैठकर आराम कर रहा था। उनसे पूछा गया कि ऐसे में अगर फिर कोई लूट की वारदात को अंजाम दे दे तो क्या करोगे, उनका कहना था कि बिना असलहे के हम क्या कर लेंगे। साथ ही यह भी बताया कि वीआइपी की सुरक्षा में तैनात हैं, अफसरों ने ड्यूटी यहां लगा दी। सुरक्षा में बैंक के पास जिन दो दीवान की ड्यूटी लगाई गई थी उनके पास डंडा तक नहीं था।