मूड खराब है तो इन रंगों के कपड़ों को करें अवॉयड, वरना पड़ेगा पछताना

मूड खराब है तो इन रंगों के कपड़ों को करें अवॉयड, वरना पड़ेगा पछताना

कभी आपने सोचा है कि वकील के कोट का रंग काला ही क्यों होता है? डॉक्टर सफेद कोट ही क्यों पहनते हैं? इस पर विशेषज्ञों का मानना है कि रंगों का मामला दरअसल इंसान के दिमाग से जुड़ा है। रंग भी हमारे मूड को प्रभावित करते हैं। सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जाओं के लिए भी रंग जिम्मेदार होते हैं। रंग भी आत्मविश्वास को कम करने और बढ़ाने में भूमिका निभाते हैं।मूड खराब है तो इन रंगों के कपड़ों को करें अवॉयड, वरना पड़ेगा पछताना

‘लाल रंग 
ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन के साइकोलॉजिस्ट डॉ. ब्रिवर द्वारा एक हजार महिलाओं पर किए गए शोध में यह बात सामने आई है कि जिस रंग के कपड़े हम पहनते हैं, वह हमारे आत्म-विश्वास को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शोध में शामिल हर दस में से एक महिला ने माना कि वह अपना आत्म-विश्वास बढ़ाने के लिए लाल रंग का कपड़ा पहनती हैं, वहीं 26 प्रतिशत महिलाओं का मानना था कि लाल रंग की लिपस्टिक लगाने मात्र से भी उनका आत्म-विश्वास बढ़ता है।

काला रंग 
काला रंग अथॉरिटी और पावर का प्रतीक है। यह एक ऐसा रंग है, जो शक्ति प्रदर्शन के लिए श्रेष्ठ रंगों में से एक है। वकीलों के मामले में यह रंग न्याय के प्रति उनकी आस्था को दिखाता है। इससे आपकी बॉडी लैंग्वेज पर भी सकारात्मक असर पड़ता है।

सफेद 
जहां तक बात डॉक्टर्स के सफेद यूनिफॉर्म की है, तो यह रंग आंखों को चुभता नहीं है, बल्कि यह बेहतर महसूस कराता है। अस्पताल की तनाव भरी दुनिया में यह रंग सकारात्मकता की निशानी है। यह रंग मरीजों को बेहतर महसूस कराता है। अस्पतालों में भी सफेद रंग से दीवारें, इसलिए कलर कराई जाती हैं, ताकि वे साफ दिखें और उनसे बैक्टीरिया मुक्त माहौल का अहसास हो।

नीला रंग 
कॉरपोरेट सेक्टर में ज्यादातर नीले रंग का प्रयोग किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इसके प्रयोग से कर्मचारियों की कार्यक्षमता बढ़ती है। इससे रचनात्मकता बढ़ती है। हालांकि इस रंग के ज्यादा प्रयोग से उदासी भी जन्म लेती है, इसलिए इसके कॉम्बिनेशन पर अवश्य ध्यान दें।

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