अस्पताल के खाते में पैसे जमा होने से 21 दिल पहले ही भोंसले का निधन हो चुका था। उनके नाम पर सहायता का आवेदन 6 जून को किया गया था यानि उनकी मौत के 10 दिन बाद। इस जांच से पता चलता है कि कैसे गरीबों की मदद करने के लिए बनाई गई स्कीम भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाती है। इसमें नकली रिकॉर्ड, चोरी की पहचान, फर्जी आवेदन, बढ़े हुए चिकित्सा अनुमान और संदिग्ध आय प्रमाण पत्र शामिल हैं। जिसके जरिए फायदा लिया जाता है।
इससे पता चलता है कि मुख्यमंत्री के मेडिकल सहायता सेल लगातार राज्य के अस्पतालों को फंड मंजूरी दे रही है। जबकि स्कीम से संबंधित वरिष्ठ अधिकारियों ने इसके खिलाफ अपना विरोध दर्ज करा चुके हैं। आरटीआई के रिकॉर्ड के अनुसार 1 नवंबर 2014 से 30 सितंबर 2017 के बीच महाराष्ट्र सरकार ने राहत कोष के तहत 23,267 गरीबों के मामले में 237 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। इनमें से 150 मामले में अनियमितताएं पाई गई हैं।