फ्रांस के राष्ट्रपति एमानुएल मैक्रों शुक्रवार को भारत के चार दिवसीय दौरे पर पहुंच रहे हैं. उनके भारत दौरे के दौरान दोनों देश न सिर्फ आपसी सहयोग को बढ़ाने पर जोर देंगे, बल्कि जैतापुर में यूरोपियन प्रेसराइज्ड रिएक्टर (EPR) टेक्नोलॉजी के आधार पर परमाणु संयत्र लगाने को लेकर भी करार हो सकता है. इस बैठक में न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCIL) 2 लाख करोड़ रुपये का ऑपचारिक ऑर्डर दे सकती है. हालांकि इस प्रोजेक्ट को लेकर कई सवाल हैं, जो यहां उठ सकते हैं.
महाघोटाले के बाद PNB ने मांगी लोन की भरपाई के लिए RBI से एक साल की मोहलत
10 हजार मेगावाट का परमाणु संयत्र
महाराष्ट्र के जैतापुर में बन रहा 10 हजार मेगावाट का यह परमाणु संयत्र फ्रांसीसी कंपनी ईडीएफ बना रही है. यह संयत्र ईपीआर टेक्नोलॉजी के आधार पर बनाया जाना है. इसी टेक्नोलॉजी की वजह से इस प्रोजेक्ट को लेकर कई सवाल भी सरकार के सामने खड़े हैं. दरअसल यह एक नई टेक्नोलॉजी है. जिसके आधार पर बनने वाले 5 प्राजेक्ट अभी भी निर्माणाधीन हैं. इसमें भारत का प्रोजेक्ट भी शामिल है.
दुनिया में सिर्फ 5 प्रॉजेक्ट, वो भी निर्माणाधीन
फिलहाल भारत के अलावा ब्रिटेन में हिंकली प्वॉइंट, फिनलैंड में ओलकिलोटो, फ्रांस में फ्लेमविल और चीन के ताइशान में इस टेक्नोलॉजी के आधार पर परमाणु प्रोजेक्ट का निर्माण किया जा रहा है. ये प्रोजेक्ट कई सालों से चल रहे हैं. ऐसे में ईडीएफ के सामने ये सवाल उठना लाजमी है कि आखिर वह इस प्रोजेक्ट को समय पर कैसे पूरा करेगी.
कौन है ईडीएफ
ईडीएफ फ्रांस की परमाणु ऊर्जा संयत्र लगाने वाली सरकारी कंपनी है. इस क्षेत्र में यह यूरोप की सबसे बड़ी कंपनी है. महाराष्ट्र के जैतापुर में जिस परमाणु योजना को आज मंजूरी मिल सकती है, इसको लेकर 2009 में अरेवा नाम की कंपनी ने एनपीसीआईएल के साथ एमओयू साइन किया था. इसके बाद कंपनी ने अप्रैल, 2015 में ईपीआर टेक्नोलॉजी का यहां टेस्ट करने के लिए करार किया था. बाद में अरेवा का ईडीएफ ने अधिग्रहण कर लिया.
ईपीआर टेक्नोलॉजी के कम खरीददार
अरेवा का अधिग्रहण करने की नौबत इसलिए आई क्योंकि उसकी ईपीआर टेक्नोलॉजी को लेने के लिए ज्यादा देश तैयार नहीं हुए. जापान के फुकुशिमा में हुए परमाणु संयत्र हादसे के बाद दुनिया के कई देश सचेत हो गए और उन्होंने इस टेक्नोलॉजी को लेने से इनकार कर दिया. इसकी वजह से ही अरेवा का अधिग्रहण करने की नौबत आई.
नहीं है ऑपरेशनल
यह तकनीक अभी कहीं भी ऑपरेशनल नहीं हुई है. ऐसे में एक ऐसी तकनीक का इस्तेमाल करना, जिसका अभी कहीं यूज नहीं हुआ है, कई सवाल खड़े कर सकती है. ये सवाल तब और पुख्ता हो जाते हैं, जब ईडीएफ ने इसकी पूरी जिम्मेदारी नहीं ली है. कंपनी ने इस प्रोजेक्ट की इंजीनियरिंग और निर्माण की पूरी जिम्मेदारी नहीं ली है. ईडीएफ ने इस मोर्चे पर एलएंडटी के साथ इंजीनियरिंग और कंस्ट्रक्शन की निर्माण प्रक्रिया के लिए सिर्फ को-ऑपरेशन डील की है. ऐसे में देखना होगा कि मैक्रों के इस भारत दौरे पर इस डील में आगे क्या कदम उठाए जाते हैं.
क्या है ईपीआर टेक्नोलॉजी
ईपीआर को यूरोपियन प्रेसराइज्ड रिएक्टर और इवोल्यूशनरी पावर रिएक्टर (EPR) भी कहा जाता है. इसे प्रमुख तौर पर फ्रांस में तैयार किया गया है. यह थर्ड जनरेशन प्रेसराइज्ड वॉटर रिएक्टर टेक्नोलॉजी है. इसमें ज्यादा सुरक्षा के इंतजाम करने के साथ ही इसे किफायती बनाने पर ध्यान दिया जाता है. हालांकि ईडीएफ को इसे तैयार करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इस वजह से इसको लेकर काफी आशंका पैदा हुई हैं.
TOS News Latest Hindi Breaking News and Features