हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन खाड़ी देशों की यात्रा की है। अब उसका प्रभाव भी दिखना शुरू हो गया है। कहा जा सकता है कि भारत की रणनीति और कूटनीति का असर अब दिखने लगा है। इस यात्रा में पीएम मोदी ने ओमान, फलस्तीन और जॉर्डन का दौरा किया था। यहां उन्होंने कई रणनीतिक समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे। ऐसा ही एक समझौता भारतीय नौसेना को ओमान के दुक्म बंदरगाह तक पहुंचाने की अनुमति से संबंधित था।
हिंद महासागर के पश्चिमी भाग में भारत की रणनीतिक पहुंच के लिए यह समझौता बहुत अहम माना जा रहा है। जानकारों का मानना है कि इसके काफी दूरगामी परिणाम होंगे। बता दें कि इस साल मार्च में पर्शिया की खाड़ी में भारत और संयुक्त अरब अमीरात द्वारा संयुक्त सैन्य अभ्यास किया जाएगा।
हिंद महासागर के पश्चिमी भाग में भारत की रणनीतिक पहुंच के लिए यह समझौता बहुत अहम माना जा रहा है। जानकारों का मानना है कि इसके काफी दूरगामी परिणाम होंगे। बता दें कि इस साल मार्च में पर्शिया की खाड़ी में भारत और संयुक्त अरब अमीरात द्वारा संयुक्त सैन्य अभ्यास किया जाएगा।
जिस तरह से चीन, पाकिस्तान में ग्वादर बंदरगाह को विकसित कर रहा है, उसे देखते हुए दुक्म में भारत की मौजूदगी रणनीतिक तौर पर काफी अहम हो जाएगी। इस समझौते के बाद भारत, चीन को ओमान की खाड़ी में रोकने में सक्षम हो जाएगा।
बता दें कि ग्वादर पर ओमानी सुल्तान का हक था और उन्होंने 1950 के दशक में भारत को इससे जुड़ने की गुजारिश की थी। लेकिन उस समय भारत ने उस गुजारिश को इसलिए ठुकरा दिया था क्योंकि भारत जानता था कि वह इसे पाकिस्तान से नहीं बचा पाएगा।
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