इन दिनों पाकिस्तान और चीन दोनों ही कुछ ज्यादा बेकाबू हो रहे हैं। ऐसे में दोनों ही देशों को काबू में करने की जरुरत है। दोनों देशों पर मोदी की नजर टेढ़ी है।
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पाकिस्तान और चीन से भारत के रिश्ते हमेशा से बेहतर नहीं रहे हैं। जबकि चीन और पाकिस्तान की आपस में खूब छनती है। पिछले कुछ दिनों से या कहें महीनों से दोनों ही देश कुछ ज्यादा ही उत्पात मचाने में जुटे हुए हैं। ऐसे में अब मांग ये उठ रही है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इन दोनों ही देशों का इलाज कर देना चाहिए। पाकिस्तान ने भारतीय बेटे कुलभूषण जाधव को फांसी की सजा सुनाकर बवाल मचा रखा है तो चीन बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा की धार्मिक यात्रा को लेकर हिंदुस्तान से चिढ़ा हुआ बैठा है। हालांकि चीन के चिढ़ने और ना चिढ़ने से भारत को कोई फर्क नहीं पड़ता है। लेकिन, इतना जरुर है कि बेलगाम चीनी मीडिया को करारा जवाब जरुर मिलना चाहिए।
दरअसल, सूत्र बताते हैं कि इन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पाकिस्तान और चीन दोनों ही देशों के खिलाफ काफी भरे हुए बैठे हैं। उन्होंने अपनी टीम को दोनेां ही देशों को सबक सिखाने के लिए काम पर लगा दिया है। लेकिन, हर कोई इस बात का जानता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कभी भी जोश में होश नहीं खोते हैं। वो हर काम सोच समझ कर ही करते हैं। जाहिर है कि जिस तरह की रणनीति इस वक्त पाकिस्तान और चीन ने भारत के खिलाफ अपना रखी है उससे साफ है कि इन दोनों ही गैर फ्रेंडली देशों से कूटनीतिक तरीके से ही लड़ना होगा। सूत्र बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन और पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब देंगे। बस उन्हें इंतजार एक माकूल वक्त और मौके का है।
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दरसअल, इन दिनों चीन बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा की अरुणाचल यात्रा को लेकर काफी भड़का हुआ है। चीनी मीडिया ने एक बार फिर ये कहा कि है दलाई लामा की यात्रा को लेकर भारत और पेइचिंग के रिश्तों पर नकारात्मक असर पड़ेगा। जबकि मोदी सरकार बार-बार ये बात साफ कर चुकी है कि हिंदुस्तान एक लोकतांत्रिक देश है और दलाई लामा की यात्रा धार्मिक है। ऐसे में वो किसी भी धर्म गुरु की धार्मिक यात्रा पर पाबंदी नहीं लगा सकता है। भारत के इसी रुख से चीन चिढ़ा हुआ है। इस बीच चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कह दिया है कि दलाई लामा की यात्रा से भारत और चीन के बीच चल रहे सीमा विवाद के मुद्दों को सुलझाने पर भी इसका असर पड़ेगा।