जमात-ए-इस्लामिक हिंद (जेईआईएच) की एक महिला नेता ने मंगलवार को कहा कि सरकार को तीन तलाक का मुद्दा उठाने के स्थान पर मुसलमानों सहित भारत के वंचित समुदायों की शिक्षा और अन्य बुनियादी जरूरतों पर ध्यान देना चाहिए। जेईएच की सचिव अतिया सिद्धिकी ने कहा कि मुसलमानों की नकारात्मक छवि पेश की जा रही है, जिसमें मुस्लिम महिलाओं को प्रताड़ित दिखाया जा रहा है।मुस्लिम नेताओं से तीन तलाक के मुद्दे को राजनीतिक रंग न देने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर सिद्दिकी ने कहा कि सरकार ही तीन तलाक और बहुविवाह के मुद्दे को बेवजह तूल दे रही है। उन्होंने कहा, “ये प्रथाएं इस्लाम में शुरुआत से हैं। अब तक इन्हें लेकर कोई शोर शराबा क्यों नहीं हुआ?” सिद्दिकी ने कहा, “सच तो यह है कि मुसलमानों में बहुविवाह अन्य समुदायों की तुलना में काफी कम होता है और मुसलमानों में तलाक के मामले भी सबसे कम होते हैं।”
उन्होंने सरकार से मुस्लिमों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप न करने को कहा और साथ ही कहा कि बहुविवाह समाज के लिए एक वरदान है, क्योंकि इससे विधवाओं को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा मिलती है। उन्होंने कहा कि जमात शादी, तलाक और उत्तराधिकार जैसे मुद्दों पर एक अखिल भारतीय जागरूकता कार्यक्रम चला रही है। यह 15 दिवसीय कार्यक्रम सात मई को खत्म होगा।
सिद्धिकी ने कहा, “सरकार को वंचित तबकों के लिए शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं जैसे मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए।” उन्होंने कहा कि मौलवियों को मुस्लिम पर्सनल लॉ से संबंधित उपदेश देने को कहा गया है, ताकि इसके बारे में भ्रांतियां समाप्त हों। जेईआईएच दिल्ली और हरियाणा की प्रभारी शाइस्ता रफत ने कहा कि इस्लामिक कानून लोगों की भलाई के लिए हैं और जो कहते हैं कि ये रिवाज समाप्त कर दिए जाने चाहिए, उन्हें शरिया कानूनों के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
livetoday.online से साभार…