नई दिल्ली| सीआरपीएफ के जवानों पर सुकमा में हुए कायराना हमले के बाद नक्सली आतंक की कमर तोड़ने के लिए मोदी सरकार ज़बरदस्त प्लान बना रही है। केंद्र सरकार की इस नई चाल से नक्सलियों को पलक झपके ही तबाह करने का प्लान बनाया गया है। एक ऐसा प्लान जिसके कामयाब होते ही दहशत फैलाने वालों का कलेजा मुंह में आ जाएगा।
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खबरों के मुताबिक पीएम मोदी ने सुरक्षा एजेंसियों से मीटिंग कर मिशन की पूरी जानकारी खुद ली है। मोदी ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा है कि 72 घंटों के अंदर सीआरपीएफ जवानों के हत्यारों को ढूंढ निकालो। अगर उन्हें मारना पड़े तो भी पीछे मत हटना।
आकाओं को मार गिराने का निर्देश
दरअसल, सरकार दहशतगर्दों की जड़ को उखाड़ फेकने के लिए उनके आकाओं को बहुत जल्द मार गिराने के फिराक में है। इसलिए अब उनके टॉप लीडर्स को निशाना बनाया जाएगा। सरकार ने सुरक्षा बलों से नक्सलियों की कमर तोड़ने के लिए उनके लीडर्स, एरिया कमांडर्स और ‘जन मिलिशिया’ के प्रभावी सदस्यों के खिलाफ ऑपरेशन चलाने निर्देश जारी कर दिया है।
एक सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘पिछले साल से बड़ी संख्या में नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है लेकिन उनके सीनियर लीडर्स काफी समय से सुरक्षा बलों की पकड़ से बाहर हैं। यही सीनियर लीडर्स घात लगाकर हमला करने की योजना बनाते हैं।’
सुरक्षा बलों की हिट लिस्ट में नक्सलियों के दक्षिणी बस्तर डिविजन का कमांडर राघु, जगरगुंडा एरिया कमिटी का हेड पापा राव और हिडमा शामिल हैं। पीपुल्स लिब्रेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) की पहली बटालियन का कमांडर हिडमा को हालिया हमले का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है।
विशेष सूत्रों ने बताया कि बस्तर में नक्सलियों की अलग-अलग कमिटियों के करीब 200-250 लीडर्स और एरिया कमांडर्स ऐसे हैं, जो सुरक्षा बलों पर हमले की योजना बनाने और तालमेल के लिए झारखंड, ओडिशा और महाराष्ट्र का दौरा करते रहते हैं। बस्तर बेल्ट में करीब 4,000 सशस्त्र नक्सली काडर हैं और उनके करीब 10,000-12,000 सहायक हैं, जिनको ‘जन मिलिशिया’ के नाम से पुकारा जाता है।
अधिकारी ने बताया, ‘गृह मंत्री राजनाथ सिंह कह चुके हैं कि बस्तर क्षेत्र में माओवादियों की कमर तोड़ने के लिए मुंहतोड़ जवाब दिया जाए।’ उन्होंने कहा है कि सुरक्षा बलों की अतिरिक्त टुकड़ियों की जितनी भी जरूरत पड़ेगी, सरकार देने को तैयार है। नक्सलियों से मुकाबले के लिए गृहमंत्री ने सुरक्षा बलों को आधुनिक तकनीक उपलब्ध कराने का भी आश्वासन दिया है। मजबूत इंटेलिजेंस सिस्टम की मदद से ही इन 250 लीडर्स और जन मिलिशिया के अहम सदस्यों को गिरफ्त में लिया जा सकता है।’
सुरक्षा बलों का कहना है कि माओवादियों पर नजर रखने के लिए उनके पास पर्याप्त खुफिया सिस्टम का होना जरूरी है। खुफिया सिस्टम में इंसान के अलावा उनको जासूसी विमान भी पर्याप्त संख्या में चाहिए। उनका कहना है कि सोमवार के हमले के लिए न सिर्फ इंसानी जासूसों की कमी जिम्मेदार है बल्कि जासूसी विमानों की कमी भी इसके लिए जिम्मेदार रही है।
सूत्रों ने बताया कि सीआरपीएफ के पास सिर्फ दो जासूसी विमान (यूएवी) हैं, जो बस्तर के 10,470 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के लिए पर्याप्त नहीं हैं। दो यूएवी नेशनल टेक्निकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन के मार्गदर्शन में भिलाई से संचालित किए जाते हैं। इन दो यूएवी को सैनिकों की प्रत्येक गतिविधि के लिए तैनात नहीं किया जा सकता है। हम जो भी ऑपरेशन अंजाम देते हैं, वह हमारे इंसानी खुफिया सिस्टम से प्राप्त सूचना के आधार पर होता है जो कई बार गलत भी साबित हो जाती है।
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सूत्रों ने बताया, सीआरपीएफ और छत्तीसगढ़ सरकार ने गृह मंत्रालय को सूचित कर दिया है कि जंगल के अंदर माओवादियों की हर हरकत पर नजर रखने के लिए उनको बड़ी संख्या में जासूसी विमानों की जरूरत है।
गृह मंत्रालय ने इस पर अपनी सहमति दे दी है और विस्तृत प्रस्ताव मांगा है। इसके अलावा घने जंगलों के अंदर नक्सलियों की गतिविधियों और हरकतों पर नजर रखने के लिए फोलायज पेनेट्रेटिंग रेडार के साथ-साथ और ध्रुव हेलिकॉप्टर्स को खरीदने की भी योजना है।