मजदूरों के बीच काम करने वाले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संगठन भारतीय मजदूर संघ ने केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरने का फैसला किया है.#बड़ी खबर: बैंक खातों से राशनकार्ड से जोड़ने की आखिरी तिथि हुई जारी….
17 नवम्बर को भारतीय मजदूर संघ देश भर से करीब 5 लाख से ज्यादा मजदूरों को रामलीला मैदान में एकत्रित कर मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के खिलाफ संसद भवन तक मार्च करेगा.
भारतीय मजदूर संघ ने मोदी सरकार के एफडीआई को बढ़ावा देने, न्यूनतम वेतन निर्धारित करने और समान काम, समान वेतन के साथ अन्य 12 सूत्रीय मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मेगा रैली करने का फैसला किया है.
संघ ने दी हरी झंडी
सूत्रों कि माने तो संघ ने केंद्र सरकार की आर्थिक और मजदूरों से जुड़ी नीतियों के खिलाफ भारतीय मजदूर संघ को हरी झंडी दे दी है. संघ के बड़े पदाधिकारियों की सहमति के बाद ही रैली के लिए भारतीय मजदूर संघ के प्रमुख अधिकारियों की एक अहम बैठक रविवार को हुई, जिसमें रैली की तारीख फाइनल करने से लेकर रैली के लिए बाकी के इंतजाम को लेकर चर्चा की गई.
वृंदावन में संघ की बैठक में हुई चर्चा
संघ की हाल ही में वृंदावन में संपन्न हुई समन्वय बैठक में भी इस पर बात हुई थी. बैठक में भारतीय मजदूर संघ और स्वदेशी जागरण मंच ने आर्थिक मोर्चे पर सरकार की विफलता को लेकर चिंता जाहिर की थी. इस बैठक में कई संगठनों ने देश में बढ़ती बेरोजगारी पर मोदी सरकार के आर्थिक फैसलों पर सवाल उठाये थे.
नीति आयोग पर मजदूर संघ ने उठाए थे सवाल
इससे पहले भी स्वदेशी जागरण मंच और भारतीय मजदूर संघ ने प्रधानमंत्री मोदी के सबसे भरोसेमंद नीति आयोग की कार्यप्रणाली के खिलाफ कई मुद्दों पर सवाल खड़े किए थे. स्वदेशी जागरण मंच और वीएचपी के इस तरह के प्रदर्शन अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के खिलाफ रामलीला मैदान से लेकर बीजेपी दफ्तर के बाहर तक आम बात होते थे. मजदूर संघ के एक्शन में आने से मोदी सरकार के खिलाफ संघ संगठनों की नाराजगी अब खुल कर सामने आने लगी हैं.
संघ संगठनों से पार पाना आसान नहीं
2019 के चुनाव में मोदी को भले ही विपक्ष से कोई चुनौती नहीं मिले. लेकिन, प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के सामने संघ और उसके संगठन एक ऐसी मुसीबत बनते जा रहे हैं, जिससे पार पाना इन दोनों के लिए इतना आसान नहीं होगा.