उरई के मोहल्ला रामनगर में शनिवार सुबह मोबाइल चोरी के आरोप में पुलिस के हिरासत में लेने से आहत युवती ने घर में फांसी लगा ली। स्वजन का आरोप है कि हिरासत में लेने के बाद दारोगा ने उसे बुरी तरह से पीटा। वे लोग पुत्री को छुड़ाने के लिए गिड़गिड़ाते रहे। रात दस बजे के बाद उसे छोड़ा गया। पुलिस के इस उत्पीडऩ से उनकी बेटी इस कदर व्यथित हो गई कि उसने अपनी जान दे दी।
रामनगर निवासी कल्लू अहरिवार की 22 वर्षीय पुत्री नीशू दो सहेलियों के साथ शुक्रवार को बाजार आई थी। नीशू को अपना मोबाइल फोन ठीक कराना था तो वह सब्जी मंडी स्थिति एक मोबाइल दुकान पर गई। वह दुकान पर खड़ी थी, तभी पुलिस की टीम पहुंची और उसे हिरासत में ले लिया। उस पर आरोप लगाया कि उसने एक दुकान से मोबाइल फोन चोरी किया है और कहा कि सीसीटीवी कैमरे में उसकी तस्वीर कैद है। इसके बाद पुलिस उसे कोतवाली ले गई। नीशू के स्वजन को इसका पता चला तो वे कोतवाली पहुंचे। कल्लू अहिरवार का कहना है कि उन्होंने पुलिस के सामने हाथ जोड़े कि उनकी बेटी ने चोरी नहीं की है, लेकिन देर शाम तक उसे नहीं छोड़ा गया। उच्च अधिकारियों के दखल के बाद रात दस बजे नीशू को उसके पिता की सुपुर्दगी में दिया। आत्मसम्मान पर ठेस पहुंचने से नीशू अवसाद में डूब गई। शनिवार सुबह उसने अपने कमरे में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। बेटी को फांसी पर लटकते देख स्वजन के होश उड़ गए। मां चीख चीखकर आरोप लगा रही थी कि उसकी मौत की जिम्मेदार उसे पकडऩे वाला दारोगा है।
महिला पुलिस से नहीं कराई गई पूछताछ
नीशू की मां का कहना है कि यदि उनकी बेटी पर मोबाइल फोन चोरी का आरोप था तो महिला पुलिस द्वारा पूछताछ की जानी चाहिए थी, लेकिन दारोगा योगेश पाठक और उनके हमराहियों ने उनकी बेटी को पकड़ा और पीटा भी। उसकी बेटी की मौत के जिम्मेदार पुलिस कॢमयों के विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए।
इनका ये है कहना
अपर पुलिस अधीक्षक डॉ. अवधेश सिंह के मुताबिक मोबाइल चोरी के आरोप में युवती से पूछताछ की गई थी। बाद में उसे स्वजन की सुपुर्दगी में दे दिया गया था। युवती ने किन हालात में खुदकुशी की है, जांच के बाद तथ्यों के आधार पर प्रभावी कार्रवाई की जाएगी।
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