हमारी इच्छाएं कभी खत्म ही नहीं होतीं। जैसे ही एक इच्छा पूरी होती है, कोई दूसरी इच्छा हमारे अंदर जाग जाती है। जब हम वो पूरी कर लेते हैं, तो कोई अन्य इच्छा उसकी जगह ले लेती है, और उसकी पूर्ति के बाद फिर कोई और इच्छा पैदा हो जाती है।
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खुशी का केवल एक ही स्रोत स्थाई है, जो हवा, पानी, आग, या मिट्टीसे नष्ट नहीं हो सकता। वो हमसे ना इस जीवन में छीना जा सकता है और ना ही मृत्यु के बाद। और वो खुशियों का स्थाई स्रोत है परमात्मा।
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यदि हम अपने सच्चे आत्मिक स्वरूप के प्रति चेतन हो जाएंगे, तो हमें इतना अधिक प्रेम और खुशी मिलेगी, जो हमें किसी भी सांसारिक इच्छा की पूर्ति से प्राप्त नहीं हो सकती। सच्ची खुशी इतनीदुर्लभ नहीं है जितना कि हम सोचते हैं. हमें स्थाई खुशी अवश्य मिल सकती है। हमें बस सही जगह पर उसकी तलाश करनी है। आज हममें से हरेक शांति और खुशी कीतलाश कर रहा है। यह तलाश सार्वभौमिक है।आखिर दुखी तो कोई भी नहीं होना चाहता! लोग अलग-अलग तरीकों से खुशियां पाने की कोशिश करते हैं। कुछ लोग दौलत औरभौतिक चीजों में खुशियां ढूंढ़ते हैं। कुछ नाम और शोहरत में इसे पाना चाहते हैं।कुछ अन्य सांसारिक रिश्तों में इसकी तलाश करते हैं। कई लोग खुशी पाने के लिए मनोरंजन का सहारा लेते हैं, जैसे कि फिल्म देखना, संगीत सुनना, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेना, टीवी देखना तथा अन्य प्रकार के इंद्रिय भोगों-रसों में समय व्यतीत करना।कुछ लोग खेलकूद संबंधी गतिविधियों को देखने या उनमें भाग लेने से खुशी का अनुभव करते हैं। फिर कुछलोग ऐसे भी हैं, जो शराब और अन्य नशीले पदार्थों में खुशियां ढूंढऩे की कोशिश करते हैं।अधिकतर लोग अपनी इच्छाएं पूरी करनेके जरिए खुशी पाना चाहते हैं। हमारी इच्छा एककार खरीदने की हो सकती है। हमारी इच्छा एक घर खरीदने की हो सकती है। हमारी इच्छा इतिहास या विज्ञान पढऩे की हो सकती है।या हमारी इच्छा किसी भी दुनियावी चीज को पानेकी हो सकती है। हमारी कोशिश यही होती है कि हम अपनी इच्छाओं को पूरा कर सकें। होता क्या है कि हमारी इच्छाएं कभी खत्मही नहीं होतीं। जैसे ही एक इच्छा पूरी होती है, कोई दूसरी इच्छा हमारे अंदर जाग जाती है।जब हम वो पूरी कर लेते हैं, तो कोई अन्य इच्छा उसकी जगह ले लेती है, और उसकी पूर्ति के बाद फिर कोई और इच्छा पैदा हो जाती है। हमारा जीवन ऐसे ही गुजरता चला जाता है। यह सच है कि आधुनिक संस्कृति आज हमारे अंदर नई-नई इच्छाओं कोजन्म देती जारही है।रेडियो, टेलीविजन, पोस्टरों आदि परविज्ञापनों की होड़ लगी रहती है। विज्ञापनकर्ता हमें बताते हैं कि हमारे पास फलां इलेक्ट्रॉनिक सामान होना चाहिए। फलां फैशन के कपड़े होने चाहिए। फलां नई गाड़ी होनी चाहिए। वो हमारे अंदर यह भावना जगाते हैं कि जब तक हम फौरन इन चीजों को खरीद नहीं लेते, तब तकहम और हमारा जीवन अधूरा है।जीवन के किसी न किसी मोड़ पर हमें एहसास होता है कि बाहरी संसार की खुशीएक क्षणिक भ्रम ही है। इस संसार की हरेकचीज नाशवान है। एक न एक दिन हम स्वयंभी शारीरिक मृत्यु का ग्रास बन जाएंगे औरअपनी सारी वस्तुओं को इसी संसार में पीछे छोड़ जाएंगे।चूंकि हमारी इंसानी व्यवस्था को इस प्रकार रचा गया है कि हम इच्छाओं की पूर्ति करने की ओर ही ध्यान लगाए रहते हैं,तो सही प्रकार की इच्छा के लिएक्याजरूरीहै?सबसे पहले तो हमें एक लक्ष्य का चयनकरना चाहिए और सही लक्ष्य है प्रभु को पाना,अपनी आत्मा का मिलाप परमात्मा में करवाना।हम अपने जीवन की अमूल्य सांसें सांसारिकइच्छाओंकी पूर्ति में ही बर्बाद कर देते हैं। अंतमें हमें महसूस होता है कि उनमें से कि सीभी चीज ने हमें वो स्थाई खुशी, प्रेम, औरसंतुष्टि नहीं दी, जो हम वास्तव में चाहते थे।सच्ची खुशी हमें अवश्य मिल सकती है। इसके लिए हमें उसे केवल अपने भीतर ही खोजना होगा। अगर हम उसे बाहरी दुनिया में ढूंढ़ेंगे, तोहमें लगातार निराशा ही मिलेगी। यदि हम इस भौतिक संसार में संपूर्णता ढूंढऩा चाहेंगे, तो वोहमें कभी नहीं मिलेगी।
स्थायी खुशी मिलेगी, बस सही जगह तलाश करें
खुशी का केवल एक ही स्रोत स्थाई है, जो हवा, पानी, आग, या मिट्टी से नष्ट नहीं हो सकता। वो हमसे ना इस जीवन में छीना जा सकता है और ना ही मृत्यु के बाद। और वो खुशियों का स्थाई स्रोत है परमात्मा। यदि हम अपने सच्चे आत्मिक स्वरूप के प्रति चेतन हो जाएंगे, तो हमें इतना अधिक प्रेम और खुशी मिलेगी, जो हमें किसी भी सांसारिक इच्छा की पूर्ति से प्राप्त नहीं हो सकती। सच्ची खुशी इतनी दुर्लभ नहींहै जितना कि हम सोचते हैं। हमें स्थाई खुशी अवश्य मिल सकती है। हमें बस सही जगह पर उसकी तलाश करनी है।