येरुशलम को इस्राइली राजधानी की मान्यता देने के बाद संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका अलग-थलग पड़ गया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की इस विशेष आपात बैठक में डोनाल्ड ट्रंप के इस्राइल में अमेरिकी दूतावास को तेल अवीव से स्थानांतरित करने के फैसले के विश्लेषण में यूरोपीय देशों ने इस पवित्र शहर पर कोई भी फैसला इस्राइल और फलस्तीन से बातचीत के बाद करने की बात कही। इस दौरान ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, जर्मनी और स्वीडन ने संयुक्त वक्तव्य में ट्रंप के फैसले से असहमति जताई।नेपाल में वाम गठबंधन बड़ी जीत की ओर, अबतक 49 में से 40 सीटें जीती
संयुक्त राष्ट्र की 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद की आपात बैठक में फ्रांस व ब्रिटेन ने अमेरिका के करीबी सहयोगी होते हुए भी ट्रंप के फैसले पर अमेरिका को बुरी तरह फटकारा। हालांकि अमेरिका को अलग-थलग पड़ते देख संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने इस्राइल व फलस्तीन के बीच शांति प्रयासों को नुकसान पहुंचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र को जिम्मेदार ठहराया। हेली ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र इस्राइल के प्रति शत्रुता दिखाने वाला एक बड़ा केंद्र है। बैठक में सिर्फ निक्की हेली ही ऐसी प्रतिनिधि रहीं जिन्होंने येरुशलम पर ट्रंप के फैसले का समर्थन किया।
इस्राइल व फलस्तीन के बीच विवाद का वास्तविक हल ढूंढा जाना चाहिए
वहीं, मध्य-पूर्व के प्रतिनिधि निकोले म्लादेनोवव ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए चेताया कि येरुशलम को इस्राइल की राजधानी घोषित करने के परिणाम हिंसात्मक हो सकते हैं। उन्होंने सभी सदस्य देशों से बातचीत करने व उकसावे से बचने को कहा।
ट्रंप ने शांति व संयम बरतने की अपील की
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने मध्य-पूर्व मे शांति और संयम बरतने के लिए कहा है। व्हाइट हाउस ने कहा कि इस्राइल की राजधानी के रूप येरुशलम को मान्यता देने के बाद क्षेत्र में हुए संघर्ष के बीच ट्रंप ने कहा है कि हम उम्मीद कर रहे हैं कि सहिष्णुता की आवाज नफरत के पैरोकारों पर प्रबल होती है। व्हाइट हाउस के उप प्रेस सचिव राज शाह ने कहा कि राष्ट्रपति इस्राइल व फलस्तीन के बीच स्थायी शांति समझौते के लिए प्रतिबद्ध हैं। शाह ने येरुशलम पर ट्रंप के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि हमें लगता है कि यह वास्तविकता की पहचान करने वाला फैसला है।