यहाँ जानिए सुबह उठने का सही समय, यहां जानिए…
घर के बड़े अक्सर सुबह जल्दी उठने की सलाह देते हैं। उनकी मानें तो सुबह उठने से आपका माइंड ज्यादा तेज चलता है, आपकी बॉडी फिट रहती है, वगैराग। लेकिन क्या आपको पता है कि आखिर जल्दी उठने का समय क्या है। अगर नहीं तो यहां हम आपतो बता रहे हैं सुबह उठने का राइट टाइम। आयुर्वेद एक्सपर्ट दीक्षा भावसार अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर पहले ही इस बारे में बताया चुकि हैं कि आखिर सुबह उठने का राइट टाइम क्या है।
ब्रह्म मुहूर्त में उठना
वैसे ब्रह्म मुहूर्त में जागना सबसे अच्छा समय है। ब्रह्म मुहूर्त 48 मिनट की एक शुभ अवधि है जो सूर्योदय से 1 घंटे 36 मिनट पहले शुरू होती है। इस समय पर उठने पर आपको ध्यान और आत्मनिरीक्षण, स्मृति और एकाग्रता में सुधार करने, मानसिक हेल्थ में सुधार करने , अपने मानसिक फोकस और एकाग्रता को मजबूत करने का बेहतर समय माना जाता है, इसके अलावा यह ध्यान करने, आध्यात्मिक किताबें पढ़ने और कुछ व्यायाम करने का सबसे अच्छा समय है।
सभी के लिए जागने का सबसे अच्छा समय क्या है?
ब्रह्म मुहूर्त से सूर्योदय के बीच किसी भी समय जागना सबसे अच्छा है। सूर्योदय से पहले उठना अच्छा है, जब प्रकृति में प्रेमपूर्ण गुण हों जो मन की शांति और इंद्रियों को ताजगी देते हैं। अगर आप पहले नहीं, तो सुनिश्चित करें कि आप सूर्य के साथ जागते हैं लेकिन सूर्योदय के बाद नहीं।
सुबह उठने का सही समय?
सूर्योदय हर मौसम के मुताबिक बदलता रहता है, ऐसे में सुबह उठने के लिए सबसे अच्छा समय होना चाहिए
वत्स के लिए- सूर्योदय से 30 मिनट पहले (जल्दी)
पित्त के लिए- सूर्योदय से 45 मिनट पहले (पहले)
कफ के लिए- सूर्योदय से 90 मिनट पहले (सबसे पहले)
मॉडर्न लाइफ स्टाइल को देखते हुए…
इन दिनों सभी की लाइफस्टाइल तेज और तनावपूर्ण है। उसी को देखते हुए आप अपने उठने के समय को इस तरह फिक्स कर सकते हैं।
वत्स के लिए- सुबह 7 बजे तक
पित्त के लिए- सुबह 6:30 बजे से पहले
कफ के लिए- सुबह 6 बजे से पहले
सभी के लिए अच्छा है ये समय…
अगर आप अपनी प्रकृति यानी मन और शरीर के बारे में नहीं जानते हैं, तो रोजाना सुबह 6:30 से 7 बजे तक उठने की आदत बना सकते हैं। ये सभी के लिए अच्छा समय है। ऐसे में इसी समय के बीच जागने की कोशिश करें।
सुबह सही समय पर उठने के फायदे
सूर्य के पहने या उसके साथ जागना आपको एनर्जी, पॉजिटिविटी और आपके मानसिक-शारीरिक हेल्थ के लिए फायदेमंद होता है क्योंकि यह संतुलन लाता है। यह एक व्यक्ति की बायोलॉजिकल साइकिल को भी नियमित करता है, पाचन, अवशोषण करने में मदद करता है, इसी के साथ ये आत्म-सम्मान, अनुशासन, शांति, खुशी और दीर्घायु उत्पन्न करता है।