यहां भाजपा सरकार ने मीडिया की स्वतंत्रता पर सुनाए यह बड़े फरमान....

यहां भाजपा सरकार ने मीडिया की स्वतंत्रता पर सुनाए यह बड़े फरमान….

उत्तराखंड में भाजपा सरकार ने मीडिया पर लगाम कस दी है। अब यहां के मीडिया संस्थानों को सरकार बताएगी कि कौन सी खबर छपेगी और कौन सी नहीं। ‘अब सरकार बताएगी कि खबर क्या होगी’,- गोपनीयता को लेकर उत्तराखंड शासन के आदेश से मचे बवाल पर बृहस्पतिवार को मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने जो सफाई दी, उसका लब्बोलुआब यही था।यहां भाजपा सरकार ने मीडिया की स्वतंत्रता पर सुनाए यह बड़े फरमान....उन्होंने कहा कि अनधिकृत सूचना से गलत व्यू प्वाइंट बन जाता है और विश्वसनीयता पर भी सवाल उठता है। इसलिए शासन ने ऐसी व्यवस्था बनाने का निर्णय लिया है, जिसमें सूचना महानिदेशक के माध्यम से अहम घटना की जानकारी दी जाएगी या प्रेस वक्तव्य जारी होंगे।

डीजी सूचना के माध्यम से प्रेस को उपलब्ध कराई जाएगी सूचना

मुख्य सचिव सचिवालय में एक पत्रकार वार्ता को संबोधित कर रहे थे। सचिवालय में सूचनाओं को लेकर प्रेस पर कथित रोक से उभरे विवाद पर उन्होंने शासन की मंशा जाहिर की। उन्होंने कहा कि शासन के एक आदेश के संबंध में भ्रांति है।

उत्तराखंड शासन अधिकृत और सही सूचना देने के लिए प्रतिबद्ध है। इसके लिए व्यवस्था बनाई गई है। शासन में अगर कोई अहम फैसला या इवेंट होगा तो उसकी जानकारी सूचना महानिदेशक देंगे। वह सचिवालय में शाम चार बजे ब्रीफिंग करेंगे।

प्रेस वक्तव्य जारी करने की व्यवस्था यथावत रहेगी। सूचना विभाग के अधिकारी विभागीय सचिवों के संपर्क में रहेंगे और उनके विभागों में यदि कोई बड़ी सूचना होगी तो उसे डीजी सूचना के माध्यम से प्रेस को उपलब्ध कराया जाएगा।  

सूचना सरकार मीडिया को देगी, उसकी पड़ताल करने के लिए स्वतंत्र रहेंगे

यह पूछने पर कि क्या ऐसा करके सरकार मीडिया पर अपना वर्चस्व नहीं बना रही है, जवाब में मुख्य सचिव ने कहा कि जो सूचना सरकार मीडिया को देगी, उसकी पड़ताल करने के लिए वह स्वतंत्र हैं। जो तथ्य शासन के नोटिस में लाए जाएंगे उन पर कार्रवाई होगी।

उन्होंने कहा कि आगंतुकों की आवाजाही से सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के कामकाज में बाधा पैदा होती है। अनधिकृत सूचना से गलत व्यू प्वाइंट बन जाता है। यह पूछने पर कि क्या शासन स्तर पर कोई ऐसी स्थिति बनी? इस प्रश्न को वह टाल गए। 

दोबारा आदेश जारी करने की जरूरत क्यों पड़ी? इस प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि संविधान के तहत मंत्रिमंडल गोपनीयता की शपथ लेता है। उनसे जुड़ी सूचनाओं में गोपनीयता आवश्यक है। 

जरूरत होगी तो वरिष्ठ अफसर रहेंगे मौजूद

शासन में महत्वपूर्ण विषयों के ऐसे आदेश जारी होते रहते हैं। कई बार अफसरों के तबादले हो जाते हैं या उनकी निगाह में आदेश नहीं आ पाते। दोबारा आदेश जारी होने से उन्हें इसकी जानकारी रहती है।

यह पूछने पर कि विभागीय सूचना के बारे में जब मीडिया प्रश्न करेगी, तब सूचना महानिदेशक उस बारे में जानकारी दे सकेंगे? इस पर मुख्य सचिव ने कहा कि अगर कोई अहम विषय है तो ब्रीफिंग में वरिष्ठ अफसरों की उपस्थिति सुनिश्चित बनाई जाएगी।  

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