कुबेर धन के स्वामी (धनेश) माने जाते हैं। वे यक्षों के राजा भी हैं। हिंदू पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि कुबेर उत्तर दिशा के दिक्पाल हैं और लोकपाल (संसार के रक्षक) हैं। कुबेर का मंदिर दक्षिण भारत में भी है।
यह मंदिर तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले में है। तमरपरानी नदी के तट पर बना हरिकेसवनाल्लुर मंदिर एक छोटे गांव में है। इस गांव को कुबेरपुरी नाम से जानते हैं। यहां भगवान शिव को (अर्यनाथर) और देवी पार्वती (पेरियनायकी) के रूप में पूजा जाता है।
मंदिर में ही दो शिवलिंग मौजूद हैं। जिन्हें अर्यनाथर और कुबेर लिंग कहा जाता है। यही कारण है कि इस गांव का नाम कुबेरपुरी है। यह एक पवित्र स्थान है। यहां रूद्र भैरव का भी तीर्थस्थल है। रूद्र भैरव आठ भैरवो में से एक स्वरुप है। दूसरे मंदिरो से अलग, यहां नटराज के दो आसन हैं।
यहां होता है मंगल दोष का निवारण
कुबेर पुरी में मौजूद हरिकेसवनाल्लुर मंदिर में ज्येष्ठ देवी मंदिर है। ज्येष्ठ देवी यहां मंगल दोष से निवारण करती है। कई लोग यहां पूजा करने आते हैं। मंदिर में मौजूद अन्य देवताओं में भगवान मुक्कुरनी विनायक (मदुरई के मीनाक्षी मंदिर) प्रमुख हैं।
मंदिर का इतिहास : यह मंदिर निन्द्रसीर नेडुमरन (पंड्या महाराजा) ने बनवाया था। राजा का परिचय पौराणिक ग्रंथों में अरिकेशवन या कुण पंड्या भी कहा जाता है और इसी नाम से इस गांव की पहचान होती है। यह मंदिर 1400 साल पहले बनवाया गया था। 12-13वीं सदी में पहले सदयवरं कुलशेखर पंड्या ने इस मंदिर का नवीकरण किया था।