लखनऊ , 15 नवम्बर । 1000 व 500 के पुराने नोट बंद होने से यातायात नियम का उल्लंघन करने वालों की चांदी हो गयी है। यातायात पुलिस व जिला पुलिस नोटों की मारामारी के चलते नियम तोडऩे वालों का चालान भी करने से कतरा रही है। मौके पर वसूले जाने वाला शमन शुल्क भी लोग नहीं दे पा रहे हैं। शायद यही वजह से इस बार का यातायात माह हर बार की तरह कुछ खास रंग नहीं ला पा रहा है। नवम्बर माह में पूरे प्रदेश में यातायात माह मनाया जाता है। इस दौरान यातायात नियम तोडऩे वालों के खिलाफ कार्रवाई होती है और लोगों को यातायात नियम के बारे में जागरूक भी किया जाता है। 8 नवम्बर से अचानक 1000 व 500 के नोट की बंदी की घोषणा के बाद से चालान व शमन शुल्क में काफी कमी आ गयी है। ट्रैफिक पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि एक नवम्बर से लेकर 13 नवम्बर के बीच ट्रैफिक पुलिस ने मात्र 4124 चालान किये और करीब 6 लाख रुपये जुर्माना वसूला। यातायात माह के दौरान चालान व शमन शुल्क की संख्या आम दिनों के मुकाबले दोगुनी हो जाती है, पर इस बार नोट बंदी के चलते यातायात माह में शमन शुल्क वसूलने में ट्रैफिक पुलिस वालों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है, वहीं लोगों को भी अपना चालान जमा करने में रुपये की दिक्कत आ रही है। ट्रैफिक पुलिस के सूत्र बताते हैं कि लोगों के पास नोट न होने की वजह से जुर्माना वसूलना मुश्किल हो गया है। मौके पर शमन शुल्क देने के लिए लोग पुराने 1000 व 500 के नोट दे रहे हैं। यहीं कारण है कि यातायात पुलिस भी अब नियम का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने से बच रही है। पुलिस को इस बात का अंदाजा है कि अगर वाहन स्वामी को रोक कर जुर्माना की रकम मांगी गयी तो वह लोग पुराने की नोट देंगे तो मान्य नहीं है। वहीं अगर चालान भी किया गया तो लोगों के पास चालान की रकम अदा करने के लिए रुपये नहीं हैं। ट्रैफिक पुलिस के अलावा जिले की पुलिस ने भी वाहनों के चालान व जुर्माना वसूलने पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रही है। जिला पुलिस के साथ भी वहीं दिक्कत है कि अगर लोगों का चालान किया गया तो वह लोग चालान जमा करने के लिए रुपये कहां से लायेंगे। यातायात माह के दौरान ट्रैफिक पुलिस के अलावा जिले की पुलिस भी जमाकर वाहन चेकिंग, चालान व जुर्माना वसूलती थी पर इस बारे नोट बंदी का असर यातायात माह पर साफ देखने को मिल रहा है।