यूपी की सबसे बड़ी खबर: विधानसभा में पेश किया गया यूपीकोका विधेयक!

लखनऊ:  उत्तर प्रदेश को अपराध मुक्त बनाने के क्रम ने महाराष्ट्र के मकोका की तर्ज पर योगी सरकार ने यूपी कंट्रोल ऑफ आर्गेनाइज्ड क्राइम ऐक्ट यानि यूपीकोका को विधानसभा में पेश किया। यूपीकोका में सात साल से लेकर उम्रकैद और फांसी व 15 लाख से लेकर 25 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। यूपीकोका में इसका भी प्रावधान किया गया है कि गवाह अगर चाहे तो उसका नाम गुप्त रखा जाएगा।


जमीन पर अवैध कब्जा, अवैध खनन, गौ तस्करी, मानव तस्करी, ड्रग्स तस्करी, आतंकी गतिविधियां, शराब तस्करी, फिरौती के लिए अपहरण जैसे संगठित अपराधों में लिप्त वे लोग जिनके खिलाफ इस तरह के अपराध के दो मुकदमों में कोर्ट में आरोप तय हो चुके हों और गैंग में दो या उससे ज्यादा लोग होंए उन पर यूपीकोका के तहत मुकदमा दर्ज होगा।

मुकदमा दर्ज करने के लिए कमिश्नर और रेंज के आईजी, डीआईजी की दो सदस्यीय समिति से मंजूरी लेनी होगी। कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने से पहले भी जोन स्तर के एडीजी, आईजी से मंजूरी लेनी होगी। यूपीकोका में अगर पुलिस को मौके से आरोपियों के खिलाफ फिंगर प्रिंट, असलहा या दूसरे साक्ष्य मिलते हैं तो आरोपित पर बर्डन ऑफ प्रूफ ज्यादा होगा। उसे कोर्ट में साबित करना होगा कि वह निर्दोष है।

ऐसा न होने पर उसे सजा सुना दी जाएगी। यूपीकोका के मुकदमों की सुनवाई के लिए कई स्पेशल कोर्ट का गठन होगा। यूपीकोका कोर्ट को अधिकार होगा कि वह उसके यहां चलने वाले मुकदमों की मीडिया कवरेज पर रोक लगा सके। यूपीकोका के मामलों की पैरवी वही सरकारी वकील कर पाएंगे, जिनकी कम से कम 10 साल की प्रैक्टिस हो जबकि अभियोजन अधिकारियों के लिए सात साल के अनुभव की सीमा रखी गई है।

यूपीकोका के तहत जिस व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज होगा उसे सरकारी सुरक्षा, सरकारी ठेकों व अन्य सुविधाओं से हाथ धोना पड़ेगा। कोई अवॉर्ड मिला है तो वह भी वापस करना होगा। प्रमुख सचिव गृह की अध्यक्षता में संगठित अपराध नियंत्रण प्राधिकरण बनाया जाएगा। इसमें प्रमुख सचिव गृह के अलावा एडीजी क्राइम, एडीजी कानून एवं व्यवस्था और न्याय विभाग के विशेष सचिव होंगे। इसी तरह जिला स्तर पर डीएम की अध्यक्षता में प्राधिकरण की स्थापना की जाएगी।

यूपीकोका में कार्रवाई के खिलाफ अपील के लिए भी हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में अपीलीय प्राधिकरण का गठन किया जाएगा। यूपीकोका में सभी सरकारी, अद्र्धसरकारी और सार्वजनिक उपक्रमों के ठेकों को ई.टेंडरिंग के तहत करने की धारा शामिल की गई है।

पुलिस-प्रशासन के पास यूपीकोका के तहत ठेकों को निरस्त करने की पावर होगी। अगर कोई भी ठेकों के लिए अफसरों पर दबाव बनाता है, ठेकों के दौरान असलहाधारियों को लेकर आता है तो उस पर यूपीकोका के तहत कार्रवाई की जाएगी।

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