संघर्ष समिति का आरोप है कि बिजली कर्मियों के घरों पर यूपी इलेक्ट्रिसिटी रिफॉर्म एक्ट 1999 और यूपी रिफॉर्म ट्रांसफर स्कीम 2000 का खुला उल्लंघन कर स्मार्ट मीटर लगाया जा रहा है।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने कहा कि पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल के निजीकरण का विरोध जारी रहेगा। आरोप लगाया कि प्रबंधन की ओर से बिजली कर्मियों का दमन करने की कोशिश की जा रही है। ऐसे में बिजली कर्मियों के परिवार के सदस्य भी सत्याग्रह करने के लिए तैयार हैं।
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने शनिवार को कहा कि पूर्वांचल एवं दक्षिणांचल के निजीकरण में मनमानी की जा रही है। नौ जुलाई की राष्ट्रव्यापी हड़ताल के बाद उत्तर प्रदेश में दो विद्युत वितरण कंपनियों के निजीकरण का मामला अब बिजली कर्मियों, किसानों और उपभोक्ताओं के लिए राष्ट्रीय स्तर का मामला बन चुका है। उत्तर प्रदेश में निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन में उपभोक्ताओं और किसानों का समर्थन विद्युत नियामक आयोग की टैरिफ पर चल रही सुनवाई में भी दिखने लगा है।
कानपुर और वाराणसी में हुई सुनवाई में उपभोक्ता परिषद सहित किसानों और सभी श्रेणी के उपभोक्ता संगठनों ने निजीकरण का निर्णय वापस लेने की मांग की। इससे बौखलाए पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने निजीकरण करने के लिए भय और दमन का रास्ता अख्तियार कर लिया है। प्रबंधन ने हजारों बिजली कर्मचारियों का उत्पीड़न की दृष्टि से दूरस्थ स्थानों पर तबादला कर दिया है। तमाम कर्मचारियों का फेशियल अटेंडेंस के नाम पर वेतन रोक लिया गया है। कुछ के खिलाफ रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई है। इसके विरोध में अब बिजली कर्मियों के परिजन भी सत्याग्रह शुरू करेंगे।
मीटर लगाना एक्ट का उलंघन
संघर्ष समिति का आरोप है कि बिजली कर्मियों के घरों पर यूपी इलेक्ट्रिसिटी रिफॉर्म एक्ट 1999 और यूपी रिफॉर्म ट्रांसफर स्कीम 2000 का खुला उल्लंघन कर स्मार्ट मीटर लगाया जा रहा है। जबकि एक्ट में स्पष्ट है कि रियायती दर पर मिल रही बिजली की सुविधा और मेडिकल रीइंबर्समेंट सेवांत सुविधाओं (टर्मिनल बेनिफिट) का हिस्सा है। इसमें कभी भी ऐसा परिवर्तन नहीं किया जाएगा जो उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद में 14 जनवरी 2000 को मिल रही सुविधा की तुलना में कमतर हो।
प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र के लोग नहीं चाहते निजीकरण
विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में जनसुनवाई के दौरान उपभोक्ता, किसान, उद्यमी, बुनकर, कार्मिक सभी ने एक सुर में निजीकरण और बिजली दर बढ़ोतरी का विरोध किया।
विद्युत उपभोक्ता परिषद ने कहा कि वर्ष 2000 से आईएएस को बिजली कंपनियों की कमान सौंपी गई है। इसके बाद भी कोई सुधार नहीं हुआ तो इसके लिए उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। देश के आईएएस अफसर का कोई विभाग नहीं होता है। वे एक विभाग से दूसरे विभाग में जाते रहते हैं। वे बिजली विभाग का निजीकरण करने के बाद दूसरे विभाग में चले जाएंगे। यही वजह है कि वाराणसी में जनसुनवाई के दौरान विभिन्न संगठनों ने विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष का स्वागत करते हुए निजीकरण के विरोध में संघर्ष जारी रखने का आह्वान किया।
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