योगी कथामृत” नामक सुप्रिसिद्ध सद्ग्रथ के लेखक परमहंस योगानंद की महासमाधि अवसर पर क्रियायोग आश्रम एवं अनुसंधान संस्थान के आध्यात्मिक परिसर में पूर्व सीएम अचानक पहुंचे। वहां उन्होंने दो दिवसीय विशेष महासमाधि समारोह का दीप जलाकर शुभारंभ किया।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव स्वामी योगानंद के पुण्यतिथि समारोह में हिस्सा लेने के लिए क्रियायोग आश्रम भी पहुंचे। यहां उन्होंने वटवृक्ष के नीचे दीप जलाकर आराधना की। दोपहर तीन बजे पहुंचे पूर्व सीएम ने स्वामी योगी सत्यम से आश्रम के विविध सेवा प्रकल्पों के बारे में जानकारी ली।
योगी कथामृत” नामक सुप्रिसिद्ध सद्ग्रथ के लेखक परमहंस योगानंद की महासमाधि अवसर पर क्रियायोग आश्रम एवं अनुसंधान संस्थान के आध्यात्मिक परिसर में पूर्व सीएम अचानक पहुंचे। वहां उन्होंने दो दिवसीय विशेष महासमाधि समारोह का दीप जलाकर शुभारंभ किया।
क्रियायोग आश्रम के पावन वटवृक्ष के नीचे परमहंस योगानंद के चित्र के सामने दीपक जलाकर उन्होंने प्रार्थना भी की। इस दौरान क्रियायोग वैज्ञानिक स्वामी योगी सत्यम ने ज्ञानावतार लाहिड़ी महाशय की ज्ञान निधि से देश -विदेश के अनुयायियों को परिचित कराया। कहा कि सत्य, अहिंसा और प्रेम का अभ्युदय सिर्फ क्रियायोग अभ्यास से संभव है।
स्वामी योगी सत्यम ने बताया कि सात मार्च 1952 को लॉस एंजेलिस के बिल्टमोर होटल में आयोजित प्रतिभोज में 50 देशों के राजदूतों के समक्ष परमहंस योगानंद ने भारत के नाम अपना संदेश देते हुए महासमाधि में प्रवेश किया था। महासमाधि के उपरांत 20 दिन तक उनके शरीर में किसी प्रकार का विकार नहीं आया था।
“परमहंस योगानंद के पार्थिव शरीर में किसी भी प्रकार के विकारों का न आना दुनिया के लिए अत्यंत असाधारण अनुभव रहा है। न तो उनकी त्वचा के रंग में किसी प्रकार का परिवर्तन हुआ था, न शरीर तंतुओं में शुष्कता ही आई थी।
योगी कथामृत” नामक सुप्रिसिद्ध सद्ग्रथ के लेखक परमहंस योगानंद की महासमाधि अवसर पर क्रियायोग आश्रम एवं अनुसंधान संस्थान के आध्यात्मिक परिसर में पूर्व सीएम अचानक पहुंचे। वहां उन्होंने दो दिवसीय विशेष महासमाधि समारोह का दीप जलाकर शुभारंभ किया।
पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव स्वामी योगानंद के पुण्यतिथि समारोह में हिस्सा लेने के लिए क्रियायोग आश्रम भी पहुंचे। यहां उन्होंने वटवृक्ष के नीचे दीप जलाकर आराधना की। दोपहर तीन बजे पहुंचे पूर्व सीएम ने स्वामी योगी सत्यम से आश्रम के विविध सेवा प्रकल्पों के बारे में जानकारी ली।
योगी कथामृत” नामक सुप्रिसिद्ध सद्ग्रथ के लेखक परमहंस योगानंद की महासमाधि अवसर पर क्रियायोग आश्रम एवं अनुसंधान संस्थान के आध्यात्मिक परिसर में पूर्व सीएम अचानक पहुंचे। वहां उन्होंने दो दिवसीय विशेष महासमाधि समारोह का दीप जलाकर शुभारंभ किया।
क्रियायोग आश्रम के पावन वटवृक्ष के नीचे परमहंस योगानंद के चित्र के सामने दीपक जलाकर उन्होंने प्रार्थना भी की। इस दौरान क्रियायोग वैज्ञानिक स्वामी योगी सत्यम ने ज्ञानावतार लाहिड़ी महाशय की ज्ञान निधि से देश -विदेश के अनुयायियों को परिचित कराया। कहा कि सत्य, अहिंसा और प्रेम का अभ्युदय सिर्फ क्रियायोग अभ्यास से संभव है।
स्वामी योगी सत्यम ने बताया कि सात मार्च 1952 को लॉस एंजेलिस के बिल्टमोर होटल में आयोजित प्रतिभोज में 50 देशों के राजदूतों के समक्ष परमहंस योगानंद ने भारत के नाम अपना संदेश देते हुए महासमाधि में प्रवेश किया था। महासमाधि के उपरांत 20 दिन तक उनके शरीर में किसी प्रकार का विकार नहीं आया था।
“परमहंस योगानंद के पार्थिव शरीर में किसी भी प्रकार के विकारों का न आना दुनिया के लिए अत्यंत असाधारण अनुभव रहा है। न तो उनकी त्वचा के रंग में किसी प्रकार का परिवर्तन हुआ था, न शरीर तंतुओं में शुष्कता ही आई थी।