प्रदेश के 13 मेडिकल कॉलजों में एमबीबीएस की सीटें हासिल करने के लिए एक बार फिर प्रयास शुरू हो गया है। सोमवार को नौ मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्यों ने चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशालय (डीजीएमई) में नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) में भेजी जाने वाली अपील संबंधी पत्रावलियां जमा कीं।
प्रदेश के 13 मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 100-100 सीट के लिए एनएमसी में आवेदन किया गया था, लेकिन एनएमसी ने फैकल्टी (चिकित्सा शिक्षकों) की कमी बताते हुए मान्यता देने से इनकार कर दिया। अब नए सिरे से अपील करने की तैयारी है। इसके लिए सोमवार को गोंडा, लखीमपुर खीरी, पीलीभीत, चंदौली, कौशांबी, सोनभद्र, बिजनौर, बुलंदशहर, कानपुर देहात स्थिति स्वशासी राज्य मेडिकल कॉलेजों के प्रधानाचार्य को डीजीएमई में पत्रावलियां लेकर पहुंचे। इन्होंने मान्यता हासिल करने संबंधी आवेदन पत्रों के साथ वर्तमान स्थिति के बारे में विस्तार से रिपोर्ट दी। मंगलवार को औरैया, कुशीनगर, ललितपुर और सुल्तानपुर के प्रधानाचार्य को बुलाया गया है। सभी कॉलेजों की पत्रावलियों का महानिदेशालय में परीक्षण किया जाएगा। इसके बाद नए सिरे से एनएमसी में अपील की जाएगी।
मान्यता मिलने पर संशय
चिकित्सा शिक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो एनएमसी में हो रही अपील के बाद भी कालेजों को एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू करने की अनुमति मिलने पर संशय है। क्योंकि एनएमसी की ओर से मानक बदलने के संबंध में 16 अगस्त को नोटिफिकेशन जारी किया गया था। जबकि आवेदन की प्रक्रिया 18 अगस्त से 19 सितंबर के बीच हुई। आवेदन पत्र में भी मानक के बारे में जानकारी दी गई थी। इतना ही नहीं आवेदन भरने वाले प्रधानाचार्य को सभी निर्देश पढ़ने के बाद हस्ताक्षर करने का निर्देश था। अनुबंध के संबंध में हलफनामा भी दिया गया है। इतना ही नहीं एनएमसी की टीम ने भौतिक सत्यापन के बाद वर्चुअल सत्यापन भी किया है।
चिकित्सा शिक्षा विभाग से जुड़े सूत्रों की मानें तो एनएमसी में हो रही अपील के बाद भी कालेजों को एमबीबीएस की पढ़ाई शुरू करने की अनुमति मिलने पर संशय है। क्योंकि एनएमसी की ओर से मानक बदलने के संबंध में 16 अगस्त को नोटिफिकेशन जारी किया गया था। जबकि आवेदन की प्रक्रिया 18 अगस्त से 19 सितंबर के बीच हुई। आवेदन पत्र में भी मानक के बारे में जानकारी दी गई थी। इतना ही नहीं आवेदन भरने वाले प्रधानाचार्य को सभी निर्देश पढ़ने के बाद हस्ताक्षर करने का निर्देश था। अनुबंध के संबंध में हलफनामा भी दिया गया है। इतना ही नहीं एनएमसी की टीम ने भौतिक सत्यापन के बाद वर्चुअल सत्यापन भी किया है।