देवों के देव महादेव को उनके भक्त कई नामों से जानते है भगवान् शंकर भोले है अपने भक्तों की सभी मनोकामना जल्द ही पूरी करते है किन्तु यदि गुस्सा आ जाता है तो विनाश करने से भी नहीं चूकते. संसार में इनके दो रूप है एक साक्षात् मानव रूप और दूसरा लिंग रूप, अधिकतर मंदिरों में इनका लिंग रूप ही देखने को मिलता है और लोग इसी शिवलिंग की पूजा करते है लेकिन क्या आप जानते है की इनकी पूजा शिवलिंग के रूप में क्यों की जाती है? आइये जानते है.इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा है.
लिंग पुराण के अनुसार
एक बार ब्रम्हा जी और विष्णु जी के बीच, दोनों में कौन श्रेष्ठ है इस बात को लेकर विवाद हो गया और विवाद इतना अधिक बढ़ गया की दोनों एक दुसरे का अपमान करने लगे किन्तु जब यह विवाद अपने चरम पर पहुँच गया तब इन दोनों के बीच में एक अग्नि स्तम्भ प्रकट हो गया. दोनों इस अग्नि स्तम्भ को देखकर चकित हो गए और इसे समझ नहीं पाए. फिर दोनों ने इस स्तंभ के विषय में जानने के लिए इसके छोर का पता लगाने का प्रयास किया एक छोर पर ब्रम्हा जी और दुसरे छोर पर विष्णु जी गए किन्तु दोनों की असफल होकर वापस लौट आये.
तब उन दोनों ने गौर किया की उस अग्नि स्तंभ से ॐ की ध्वनि सुनाई दे रही है और फिर दोनों समझ गए की ये साक्षात शक्ति रूप है तथा दोनों में उस अग्नि स्तंभ की आराधना करने लगे जिससे प्रसन्न होकर भगवान् शंकर प्रकट हुए और उन्हें सद्बुद्धि का वरदान देकर अंतर्ध्यान हो गए.लिंग पुराण के अनुसार पहला लिंग इसे ही माना जाता है.
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