काबा मुसलमानों का सबसे पाक धार्मिक स्थल है। कुरान में बताया गया है कि हर मुसलमान को अपनी जिंदगी में कम से कम एक बार मक्का की यात्रा जरुर करनी चाहिए। मक्का में ही काबा स्थित है। काबा खुदा का घर माना जाता है। कहते हैं काबा जहां पर बना है वह पृथ्वी का केन्द्र बिन्दु है। आइए जानें इसके निर्माण के पीछे की कहानी।अभी-अभी: नेपाल ने ड्रैगन को दिया बड़ा झटका, चीनी कंपनी के साथ हाइड्रो प्रोजेक्ट डील की रद्द
इस्लामिक विषयों के जानकार के अनुसार मक्का में आज हज यात्री जिस काबे की तवाफ करते हैं वह अपने शुरुआती दिनों में वैसा नहीं था जैसा आज हमे दिखता है। हजरत इब्राहिम ने इसे कुछ और शक्लो सूरत में बनाया था। हदीस में बताया गया है कि जब खुदा के कहने पर हजरत इब्राहिम और उनके बेटे ईस्माइल ने खुदा का घर बनवाया तो वह आयताकार था। लेकिन काबे का कई बार पुनर्निर्माण हुआ और इस क्रम में इसका आकार बदलकर वर्गकार हो गया है।
हदीस में भी एक जिक्र है कि मुहम्मद साहब अपनी बीबी से कहते हैं कि वह काबे को वही शक्ल देना चाहते हैं जिस शक्ल में हजरत इब्राहिम ने उसे बनाया था। लेकिन उन्होंने अपने दिल की बात इसलिए नहीं मानी क्योंकि लोग अब काबे की उसी बनवट में विश्वास रखने लगे थे जैसा वह आज दिखता है। खुदा ने जब हजरत इब्राहिम से उनके बेटे की कुर्बानी मांगी और उन्होंने बिना हिचके कुर्बानी दे दी हालांकि खुदा ने उनके बेटे की जगह जानवर को बदल दिया था इसलिए उनके बेटे की कुर्बानी नहीं हुई। खुदा ने इब्राहिम और ईस्माइल को अपना पैगंबर बना लिया और उनसे अपने लिए एक घर बनाने का हुक्म दिया।
काबा के अंदर दो खम्बें हैं वहीं सके अंदर एक तरफ एक मेज रखी गयी है जहां लोग इत्र आदि डाल सकते है काबा के अंदर दो लालटेन के प्रकार के दो दीपक छत से लटके हुए दिखते है। काबा के अंदर लगभग 50 लोगों को एक साथ लाया जा सकता है। काबा के अंदर खास बात ये है कि इसके अंदर कोइ भी खिडकी नहीं है वही इसके अंदर जाने और आने के लिए केवल एक ही दरवाजा है।