ये है ट्रेन से फेंकी गई बच्चियों, खिलौनों से खेलने की उम्र में पहचान रही लाश...

ये है ट्रेन से फेंकी गई बच्चियों, खिलौनों से खेलने की उम्र में पहचान रही लाश…

खिलौने से खेलने की उम्र में मासूम को अपनी बहन की लाश पहचनना पड़ रहा है। हालांकि, इस दौरान पुलिस कर्मी पूरी संवेदनशीलता और बच्चियों के अभिभावक की तरह पेश आ रहे हैं। ये हाल है ट्रेन से फेंकी गई उन बच्चियों का जिनका अभी अस्पताल में इलाज चल रहा है। दरअसल, जनसेवा एक्सप्रेस से सोमवार रात चार बच्चियों को ट्रेन से फेंक दिया गया था। जिनमें से एक की मौत हो गई थी।ये है ट्रेन से फेंकी गई बच्चियों, खिलौनों से खेलने की उम्र में पहचान रही लाश...बड़ी खबर: नवंबर के पहले सप्ताह से BJP उम्मीदवारों की घोषणा शुरू, इन मानकों पर होगा चयन

बुधवार को लखीमपुर खीरी जिले के मैगलगंज इलाके में बच्चियों की मां आफरीन की लाश मिली जबकि चौथी बच्ची रबिया खातून (9) करीब 50 किमी. दूर सीतापुर के महमूदाबाद इलाके में स्थित गुलरामऊ क्रॉसिंग के पास गंभीर रूप से जख्मी मिली। बेटी मुन्नी (5) की लाश मंगलवार को ही सीतापुर जिले के मानपुर थाना क्षेत्र में रमईपुर हाल्ट के निकट ट्रैक के करीब पड़ा मिला था। जबकि घायल मिलीं अल्बुल खातून (8) व सलीमा (4) का सीतापुर जिला चिकित्सालय में इलाज हो रहा है।ये है ट्रेन से फेंकी गई बच्चियों, खिलौनों से खेलने की उम्र में पहचान रही लाश...अल्बुल ने ही फोटो से मां और घायल मिली लड़की को अपनी बड़ी बहन के रूप में शिनाख्त की। रबिया को लखनऊ में ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया है। उसके होश में आने का इंतजार किया जा रहा है। 

वहीं, पुलिस अभी भी किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है। जिला अस्पताल में भर्ती अल्बुल के बार-बार बयान बदलने से पुलिस की मुसीबत बढ़ती जा रही है। वहीं पुलिस इस मामले में रेल ट्रैक की खाक छानती नजर आई।

पुलिस ने लुधियाना से लेकर बिहार तक रेल ट्रैक के करीब मौजूद झाड़ियों की जांच की। वजह यह है कि पुलिस को संदेह है कि कहीं इद्दू व एक अन्य बहन हसीना को भी चलती ट्रेन से फेंक न दिया गया हो। पुलिस ने ऐसी जांच घायल अल्बुल खातून के बयान बदलने के बाद शुरू की है।

बताते हैं कि परिवार लुधियाना से बिहार के मोतिहारी जा रहा था। वहीं जीआरपी थाने में अल्बुल के बयान के आधार पर उसके मामा इकबाल व उसके साथी इजहार के खिलाफ देर रात हत्या व हत्या के प्रयास आदि धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई है। 

अभी तक बच्ची अपने पिता इद्दू, इकबाल व उसके साथी इजहार पर चलती ट्रेन से फेंके जाने का आरोप लगा रही थीं, लेकिन अब बच्ची इकबाल व उसके साथी इजहार को ही घटना का दोषी बता रही हैं। बालिका के इस तरह से बयान बदलने पर रेल पुलिस ने नए सिरे से जांच शुरू कर दी है।

पुलिस को संदेह है कि कहीं इन बच्चों का पिता इद्दू भी किसी अनहोनी का शिकार न हो गया हो। यही वजह है कि रेल पुलिस ने लुधियाना से लेकर बिहार तक गुरुवार को रेल ट्रैक के किनारे झाड़ियों व आसपास के स्टेशनों पर खोजबीन की। हालांकि इस दौरान उनके हाथ कोई खास सफलता नहीं लगी। जीआरपी थानाध्यक्ष विवेक मौर्य ने बताया कि अधिकारियों के निर्देश पर अभियान चलाकर जांच की जा रही है, लेकिन अभी तक इद्दू का कहीं कोई पता नहीं चल सका है। इस रूट पर पड़ने वाले स्टेशनों से भी संपर्क किया गया है। 

गुरुवार को अल्बुल खातून ने पुलिस को बयान दिया कि उसे व उसके परिवार के सदस्यों को उसके पिता इद्दू ने न फेंककर बल्कि उसके मामा इकबाल व उसके साथी इजहार ने फेंका है। सीओ जीआरपी अशोक कुमार सिंह ने बताया कि काफी जांच के बाद इकबाल व इजहार ही दोषी प्रतीत हो रहे हैं। इस वजह से जीआरपी थानाध्यक्ष विवेक मौर्य की तहरीर पर पुलिस ने इकबाल व इजहार के खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास आदि धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की है।

विवेचना चल रही है, बच्चियां बार बार बयान बदल रहीं हैं। इस वजह से इस पूरे मामले की तह तक पहुंचने में देर लग रही है। बच्चियों के पिता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई है, इसका मतलब यह नहीं कि उसके पिता को लेकर जांच नहीं की जा रही है। इस घटना में तमाम पहलुओं को गंभीरता से लेकर जांच की जा रही है। जल्द ही इस घटना के रहस्य से पर्दा उठेगा। 

वहीं, बच्चियों के बताए पते पर जीआरपी की एक टीम बिहार के बेतिया जिले के नौतन थाना क्षेत्र के ग्राम झखरा पहुंची। यहां पुलिस ने बच्चियों के नानी नाजिया खातून का पता खोज निकाला। टीम ने उनसे बात की। पूरी खबर सुन नानी नाजिया फफक पड़ी।

उधर, बच्चियों की नानी ने बताया कि इद्दू अपने परिवार को लेकर 23 अक्टूबर को घर निकला था। बताया था कि वे सब कश्मीर जा रहे हैं। अब हादसे की खबर मिल रही है। बच्चियों की नानी के बयानों के आधार पर घटनाक्रम बदलता जा रहा है। यहां पता चला है कि बच्चियों का एक भाई भी है। जो कश्मीर में मजदूरी करता है।

ट्रेन से फेंकी गई बच्ची अल्बुल अभी तक पुलिस को यह बताती आई है कि वह परिवार के साथ पंजाब से लुधियाना से अपने घर बिहार जा रही थी। तब रास्ते में उसे व उसकी बहनों तथा मां को फेंका गया है। गुरुवार शाम बच्ची ने पुलिस को बताया कि परिवार पंजाब से घर पहुंच गया था। जिसके बाद पूरा परिवार बिहार से कश्मीर जाने वाली ट्रेन में सवार होकर कश्मीर के लिए निकला था।

बच्ची के इस बयान से जांच में जुटे पुलिस कर्मियों के होश उड़ गए। फिलहाल पुलिस ने बिहार से जम्मू कश्मीर जाने वाले रूट की भी जांच शुरू कर दी है। इस दौरान 24 अक्तूबर को बिहार से कश्मीर जाने वाली ट्रेनों की डिटेल निकाली जा रही है। कामाख्या, हावड़ा आदि ट्रेने भी जांच के घेरे में आ गई हैं।

जीआरपी ने कश्मीर रूट के जीआरपी थानों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है। उपनिरीक्षक रविंद्र पांडेय ने बताया कि बालिका के हर बयान को गंभीरता से लिया जा रहा है। यही वजह है कि बच्ची जो भी बयान दे रही है, पुलिस उस बयान के आधार पर जांच आगे बढ़ा रही है। फिलहाल अब बिहार से सीतापुर होकर गुजरने वाली ट्रेनों की जानकारी भी जीआरपी जुटा रही है। 

कोई बिस्किट, कोई कपड़े तो कोई खिलौने लेकर पहुंच रहा अस्पताल
बच्चियों का हाल जानने के लिए मददगारों को अस्पताल पहुंचना जारी है। गुरुवार को नगर विधायक राकेश राठौर जब इमरजेंसी वार्ड में बच्चियों का हाल जानने पहुंचे। तब सलीमा पड़ोस में मौजूद एक महिला तीमारदार की गोद में खेल रही थी। विधायक ने उसे दुलार करते हुए बिस्किट व टाफी दी।

समाजसेवी तपन सिंह ने अस्पताल पहुंचकर बच्चियों को कपड़े दिए। कांग्रेस जिलाध्यक्ष विनीत दीक्षित, समाजसेवी मोतीलाल महावर, दयाशंकर मिश्रा आदि समाज सेवी अस्पताल पहुंचे। जिन्होंने बिस्किट, टॉफी व फल बच्चियों को सौंपे। इस दौरान महिला सिपाही मीनू गिल व वीरेश्वरी देवी ने बच्चियों को खिलौने भी दिए। 

पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलेगी सच्चाई
पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट का बेसब्री से इंतजार कर रही है। क्योंकि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चोट व मौत का समय पता चल सकता है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर ही पुलिस ट्रेन के समय का मिलान करेगी, जिसके बाद ही सच्चाई समाने आ सकेगी।

बिहार पहुंची पुलिस
बिहार गई पुलिस टीम में जीआरपी थानाध्यक्ष आशीष वर्मा, चारबाग जीआरपी के फैजल खान, सिपाही प्रदीप कुमार व वेदराम यादव शामिल हैं।

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