योगीराज में अपराध कम होने की बजाए 27 फीसदी बढे:कुछ करो भी 'सरकार'

योगीराज में अपराध कम होने की बजाए 27 फीसदी बढे:कुछ करो भी ‘सरकार’

करीब-करीब हर शहर, जिला और कस्बा के पुलिस अफसर बदल दिए गए. थाने-चौकी तक को उलट-पलट दिया गया. खुद योगी जी ने अलग-अलग मंच से गुंडों को सीधे ललकारा. कभी दो महीने तो कभी चार महीने में यूपी से जुर्म और मुजरिमों का सफाया कर देने के दावे किए. पर नतीजा क्या निकला? कभी मुजफ्फरनगर, तो कभी सहारनपुर, कभी बरेली तो कभी मथुरा, कभी लखनऊ तो कभी इलाहाबाद और अब ज़ेवर. आपको बता दें कि योगी राज के पहले डेढ़ महीने में ही यूपी में जुर्म कम होने की बजाए 27 फीसदी बढ़ गए हैं.योगीराज में अपराध कम होने की बजाए 27 फीसदी बढे:कुछ करो भी 'सरकार'यह भी पढ़े: मैच देखने आये दर्शकों के सामने ओबामा ने किया ऐसा काम, देखकर दंग रह जायेगे आप…

अपराधी बेखौफ, पुलिस बेहाल, कानून लाचार
जहां खुद कानून के मुहाफ़िजों की जान खतरे में हो, वहां भला पुलिस आम लोगों की हिफ़ाज़त कैसे करे? यूपी की हालत इन दिनों कुछ ऐसी ही है। हाल के दिनों में यहां पुलिसवालों की पिटाई और उन पर हमलों की इतनी वारदातें हुई हैं कि बस पूछिए मत. पुलिस बेहयाई की ऑक्सीजन से सांसें ले रही है. सूबे में कानून बेचारगी की आबो-हवा के बीच उखड़ती सांसों को संभाल कर किसी तरह ज़िंदा रहने की जद्दोजेहद करता दिखता है. सरकार सत्ता के बोलवचन में सस्ती हरकतें करती नजर आती है और विपक्षी नेता सत्ता से दूर रहने की छटपटाहट के बीच मुद्दों को भी व्यापार बनाने पर तुले हैं. और इन सबके बीच फंसे हैं यूपी के आम लोग.

 

योगी राज में अपराध बेलगाम, तोड़े रिकार्ड
सत्ता के चेहरे बदल गए. सत्ता के गलियारों के मोहरे बदल गए. चौकी बदली, थाने बदले, जिले बदले, अफसर बदले अफसरों के अफसर बदल गए. बस नहीं बदली तो यूपी में जुर्म की तस्वीर और यूपी की तकदीर. नेता बोलते हैं और बहुत खूब बोलते हैं. पर नेताओं को भी समझना चाहिए कि उनकी बोल के मोल रहें इसके लिए तोल-मोल के ही बोलें. खाली बोलने के लिए ना बोलें. योगी जी कहां तो दो महीने में यूपी से अपराध और अफराधियों के सफाए का दम भर रहे थे और कहां पहले डेढ़ महीने के उनके राज में ही जुर्म ने पिछले दो सालों के रिकार्ड तोड़ दिए हैं. हम कोई इलज़ाम नहीं लगा रहे. ये आंकड़े योगी जी की ही पुलिस के हैं. लखनऊ पुलिस मुख्यालय से मिलें हैं. 

योगी राज में 29 फीसदी बढ़ा जुर्म
यूपी की पुलिस से मिले आंकड़ों पर ज़रा एक नज़र दौड़ा लीजिए. आंकड़े 16 मार्च 2017 से 30 अप्रैल 2017 तक के हैं. इन आंकड़ों के साथ ही 2016 और 2015 के भी आंकड़े दिए गए हैं. इसी डेढ़ महीने के. यानी 16 मार्च से 30 अप्रैल तक के. इन आंकड़ों से साफ है कि योगी राज के पहले डेढ़ महीने में जुर्म कम होने की बजाए करीब 29 फीसदी बढ़ा है. बलात्कार के मामलों में तो 37 फीसदी का इज़ाफा हो गया है. जबकि डकैती के मामलों में 74 फीसदी इजाफा दर्ज किया गया है. अलबत्ता मर्डर के मामले में करीब सात फीसदी की कमी जरूर आई है.

जेवरकांड ने खोली कानून व्यवस्था की पोल
देश की राजधानी दिल्ली से फकत 50 किलोमीटर दूर जेवर में ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के करीब एक ही परिवार की चार औरतों की आबरू पर हाथ डाला जाता है. उनके साथ के मर्दों से लूटपाट और मारपीट की जाती है. एक को गोली मार दी जाती है और योगी जी की पुलिस का कोई अता-पता नहीं हो पाता. शायद मुजरिमों को भी पता था कि जिस राज्य में कानून आज भी खूंटी पर टंगा हो, जिसकी रफ्तार आज भी सुस्त हो वहां भला हाईवे की स्पीड पकड़ कर कौन उन्हें पकड़ेगा और कौन उनका क्या बिगाड़ेगा?

बेखौफ मुजरिम, बेबस जनता
तो फिर मौका है. रो-पीट लीजिए. दिल्ली से लेकर लखनऊ तक पर भड़ास निकाल लीजिए. फिर दो-चार दिन बीत जाएंगे. उसके बाद भूल जाएंगे हम सब. तब तक के लिए जब तक कि फिर किसी के घर की आबरू ना लुट जाए. उसके बाद फिर से वही बातें, वही वादे, वही गुस्सा, वही आक्रोश, वही नेता, वही अफसर. बस जगह बदली होगी, शहर, जिला कस्बा, मोहल्ला नया होगा. बाकी सब वही होगा. वही बेखौफ मुजरिम होंगे. वही बेबस मासूम होगी. और वही लाचार घर वाले. गलत हो तो आप भी बता दीजिए. निर्भया से लेकर बुलंदशहर तक के बाद से ऐसा कितनी बार हुआ है.

पुलिस को एक्सेल गैंग पर शक
दिल्ली के क़रीब ग्रेटर नोएडा के जेवर में हुई जिस लूट, क़त्ल और महिलाओं से ज़्यादती की वारदात ने पूरे देश को हिला दिया… आख़िर वो वारदात हुई कैसे? आधी रात को कैसे आए लुटेरे? कैसे लगाया उन्होंने घात? और कैसे दिया पूरी वारदात को अंजाम? आइए बताते हैं आपको. जेवर बुलंदशहर रोड पर आधी रात हुई लूटपाट की वारदात में बेशक पुलिस पीछा करने के बावजूद बदमाशों को ना पकड़ पाई हो, लेकिन अब यही पुलिस शक जता रही है कि इस वारदात के पीछे दिल्ली और पश्चिमी यूपी में सक्रिय कुख्यात एक्सेल गैंग का हाथ हो सकता है.

हर गैंग के अलग तौर-तरीके
जी हां, वो एक एक्सेल गैंग जो चलती गाड़ियों के एक्सेल को निशाना बनाता है, ताकि गाड़ी चलने की हालत में ना रहे और लुटेरे गाड़ी में सवार तमाम लोगों को आसानी से लूट सकें… बीती रात हुई लूट की वारदात में भी बदमाशों ने कुछ इसी तरीक़े से काम लिया था. असल में गुनहगारों के ज़्यादातर गैंग के कुछ अपने तौर-तरीक़े होते हैं. और ऐसा ही एक्सेल गैंग के साथ भी है.

ख़तरनाक है ‘एक्सेल गैंग’
ये गैंग अक्सर गाड़ियों के टायर और एक्सेल को निशाना बनाता है. ये लोहे या किसी धातु से गाड़ी पर वार करते हैं जिससे तेज़ आवाज़ होती है. ज़्यादातर शिकार तो गाड़ी में आवाज़ होते ही रुक जाते हैं, जबकि कुछ लोगों को टायर के पंक्चर होने के बाद रुकना पड़ता है. ये अक्सर रात के वक्त सुनसान जगहों पर घात लगाकर हमला करते हैं. लूटपाट के दौरान ये क़ीमती चीज़ें तो लूटते ही हैं अपने शिकार को पीटते भी हैं. बहुत से मामलों में ऐसे बदमाश महिलाओं की आबरू पर हाथ डालते हैं. कम से कम छह लोगों का गैंग तमंचा, चाकू और सरिया जैसे हथियारों से लैस होता है.

जेवर में एक्सेल गैंग!
इत्तेफ़ाक से बीती रात जेवर इलाके में भी लूटपाट की जो वारदात हुई, उसमें बदमाशों की मॉडस ऑपरेंडी बिल्कुल इससे मिलती जुलती थी. वारदात का शिकार बने लोगों की मानें तो उन्हें बदमाशों ने बीती रात ना सिर्फ बुरी तरह पीटा बल्कि उन्हें खेतों में औंधे मुंह लिटा कर उनका मोबाइल फ़ोन भी छीन कर ले गए. और महिलाओं को दूसरी तरफ़ ले जाकर उनके साथ ज़्यादती की.

पश्चिमी यूपी में भी एक्सेल गैंग सक्रीय
पुलिस की मानें तो इस एक्सेल गैंग के ज़्यादातर बदमाश राजस्थान, आगरा और आस-पास के इलाक़ों के रहने वाले हैं. अब पश्चिमी यूपी में भी कुछ ऐसे गैंग सक्रिय हो गए हैं. एक्सेल गैंग की मॉडस ऑपरेंडी को देखते हुए ही पुलिस अक्सर लोगों को हाई वे पर ऐसी किसी हमले या आवाज़ होने पर नहीं रुकने की सलाह देती है. इत्तेफ़ाक से बीती रात भी जब इस गाड़ी पर हमला हुआ तो ड्राइवर ने गाड़ी नहीं रोकी थी. लेकिन जब एक साथ दो टायर बैठ गए, तो फिर उसे गाड़ी रोकनी पड़ी.

बुलंदशहर गैंगरेप के बाद बांटे थे पम्फलेट
पिछले साल जुलाई के महीने में बुलंदशहर में मां बेटी से हुए गैंगरेप और 26 दिसम्बर को यमुना एक्सप्रेस वे पर 20 लाख की लूट के बाद यूपी पुलिस ने हाईवे पर पम्फलेट बांट कर लोगों को ऐक्सेल गैंग के बारे में सावधान किया था. पुलिस ने इस गैंग के काम करने के तरीके का बारे में भी लोगों को बताया था. लेकिन अब फिर से ये वारदात हो गई.

एक्सेल गैंग पर ही शक क्यों?
गैंगरेप की इस वारदात के बाद अब पुलिस की हालत सांप गुज़रने के बाद लकीर पीटने जैसी है. हालांकि पुलिस को शक है कि इस वारदात के पीछे कुख्यात एक्सेल गैंग का हाथ हो सकता है, जो पहले गाड़ियों के नीचे कुछ फेंकता है और फिर गाड़ी रुकते ही गाड़ी में सवार लोगों को अपना निशाना बनाता है. पर सवाल ये है कि आख़िर पुलिस को एक्सेल गैंग पर ही शक क्यों है?

पुलिस की कछुआ चाल
रात के सन्नाटे में यूपी की पुलिस ने ढ़ाई किमी का सफर तय करने में डेढ़ घंटे लगा दिए. इधर कछुए की चाल से पुलिस अपने थाने से मौका-ए-वारदात की तरफ बढ़ रही थी. उधर 5 से 6 लुटेरे इस परिवार का सब कुछ लूट लेने पर आमादा थे. जितना वक़्त पुलिस को यहां पहुंचने में लगा. उतने ही वक़्त में उन लुटेरों ने पीड़ितों की इको गाड़ी को रोका भी. पीड़ित परिवार को उतारा भी. उनके ज़ेवर-गहने-पैसे सब लूटे. मारपीट की. महिलाओं से सामूहिक बलात्कार किया. एक शख्स के जिस्म में दो गोली मारकर उसे मौत के घाट भी उतार दिया और मौके से फरार हो गए. मगर पुलिस न मालूम किस स्पीड से चल रही थी कि इस पूरी वारदात के हो जाने के भी एक घंटे बाद मौके पर पहुंची.

सोची समझी साजिश था जेवरकांड
24-25 मई की रात डेढ़ बजे के वक्त वो परिवार, जिसके खानदान में कोई ज़िंदगी और मौत से लड़ रहा था. आनन फानन में जेवर से बुलंदशहर के लिए रवाना हुआ था. और जब एक्सप्रेस वे के नीचे बुलंदशहर वाले इस रास्ते तक पहुंचा तो उनकी इको कार में हुई एक ज़ोर की आवाज़ ने इनके कान खड़े किए. मगर अगले ही पल पंक्चर हो चुके टायर ने इन्हें रुकने पर मजबूर कर दिया. असल में ये एक सोची समझी साज़िश थी. हाई-वे के लुटेरे घात लगाए बैठे थे. और गाड़ी का साइड में लगना था कि 5 से 6 की तादाद में मुसीबत बनकर आए लुटेरों ने इस परिवार को घेर लिया. गाड़ी में उस वक़्त नौ लोग मौजूद थे. जिनमें 4 पुरूष, 4 महिलाएं और एक बच्चा था.

रात में एक्सप्रेस-वे पर लुटेरों का राज
जेवर-बुलंदशहर रोड पर साबौता गांव के पास खड़ी पीड़ितों की मारुति इको कार यहां हुई हैवानियत की गवाही दे रही है. बड़ी प्लानिंग के साथ लुटेरों ने कार को निशाना बनाया था. सारी प्लानिंग बस इस बात की थी. कि किसी तरह गाड़ी रुक जाए. क्योंकि उसके रुकने के बाद तो लुटेरों ने पीड़ितों को संभलने का मौका भी नहीं दिया. उन्होंने आते ही लूटमार शुरू कर दी, महिलाओं को जंगल में ले गए और बदतमीज़ी की. उनके हाथ पैर बांध दिए. नोएडा एक्सप्रेस वे के आसपास लूट की ऐसी वारदाते नई नहीं हैं. रात अंधेरा गहराते ही बदमाशों की टोली यहां सक्रीय हो जाती है. फिर जो भी इनके जाल में फंस जाए उसका बचना मुश्किल ही होता है.

पुलिस को मेडिकल रिपोर्ट का इंतजार
पुलिस की जिस लापरवाही की शिकायत स्थानीय लोग करते हैं. उसे दूसरे तरीके से भी समझने की ज़रूरत है. जहां ये वारदात हुई है. वहां पहले भी घटनाएं हुई हैं. मगर अक्सर बदमाश लूट करने के बाद भाग जाते हैं. मगर 24 और 25 की रात लुटेरों ने इस परिवार के एक सदस्य को गोली भी मारी. इतना ही नहीं 44 हजार रुपये लूटने के बाद बदमाशों ने कार में मौजूद पुरुषों के हाथ पांव बांधकर खेतों में डाल दिया. और चारों महिलाओं को कार से बाहर खींच कर उनके साथ बलात्कार किया. वारदात की पीड़ित महिलाओं का मेडिकल कराया गया. ताकि बलात्कार की पुष्टी हो सके. फिलहाल पुलिस अज्ञात आरोपियों के खिलाफ बलात्कार की धाराएं भी लगा दी हैं. हालांकि अभी रिपोर्ट आनी बाकी है.

पुलिस के हाथ खाली
पुलिस अभी इस हैवानियत भरी वारदात के सुराग तलाश ही रही थी कि पीड़ित महिलाओं में से एक ने ये बयान देकर पूरे मामले को ही पलट दिया कि ये पूरी की पूरी घटना आपसी रंजिश का नतीजा है. हालांकि गुरूवार को जिन पड़ोसियों पर महिलाओं ने आरोप लगाया. वो उसे सिरे से नकार रहे हैं. सिर्फ आरोपी ही नहीं बल्कि खुद महिलाएं भी कुछ घंटों बाद अपने बयान से पलट गईं. हालांकि पुलिस ने एहतियातन इनसे पूछताछ की ज़रूर है. मगर अभी भी इस मामले में पुलिस के हाथ खाली ही हैं.

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