उत्तर प्रदेश के इटावा में मानवता को शर्मसार करने वाली और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की पोल खोलने वाली एक घटना सोशल मीडिया में वायरल हो रही है जब सरकारी अस्पताल से एक व्यक्ति को अपने बेटे का शव कंधों में लाद कर घर आने को मजबूर होना पडा।दरअसल, इटावा के विक्रमपुर गांव निवासी ईट भटटे पर मजदूरी करने वाले उदयवीर सिंह अपरान्ह अपने बीमार बेटे पुष्पेन्द्र (15) को गंभीर हालत में डा. भीमराव अंबेडकर राजकीय संयुक्त चिकित्सालय की इमरजेंसी में लेकर आए थे जहां डाक्टरों ने किशोर को मृत घोषित कर दिया। अस्पताल परिसर में रोते बिलखते उदय को डाक्टरों ने वहां से जाने को कहा। मजदूर ने अपने जिगर के टुकड़े को अपने सीने से लगाया और आंसू पोंछता हुआ घर के लिए रवाना हो गया।
इस पूरी घटना को अस्पताल में मौजूद किसी शख्स ने अपने मोबाइल कैमरे में कैद कर लिया और देखते ही देखते यह घटना सोशल मीडिया में वायरल हो गई। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा.राजीव कुमार यादव ने घटना की तसदीक करते हुए बताया कि उदयवीर नामक शख्स बीमार बेटे पुष्पेंद्र को नाजुक हालात मे लाए थे। इमरजेंसी मे डयूटी पर तैनात डाक्टर पीयूष त्रिपाठी ने उसको चेक किया चूकि बच्चा मरा हुआ अस्पताल लाया गया था इसलिए डाक्टर ने उसको किसी भी तरह का उपचार की जरूरत नही समझी।