पेट्रोल पम्प एसोसिएशन के एक पदाधिकारी ने बताया ‘‘एसटीएफ की छापेमारी की वजह से पेट्रोल पम्प कर्मी भाग गये हैं, लिहाजा लखनऊ के पेट्रोल पम्प मालिकों ने सोमवार रात से हड़ताल शुरू कर दी है।’’ यह हड़ताल एसटीएफ द्वारा पिछले दिनों लखनऊ के विभिन्न पेट्रोल पम्पों पर अचानक की गयी छापामार कार्रवाई के विरोध में की जा रही है। एसटीएफ के अभियान के दौरान अनेक पेट्रोल पम्पों पर घटतौली करके उपभोक्ताओं को करोड़ों रुपये की चपत लगाये जाने का खुलासा हुआ।
तेल मशीनों में चिप लगाकर उपभोक्ताओं के साथ धोखाधड़ी उजागर होने के बाद राजधानी के कई पेट्रोल पम्प सील कर दिये गये, जिनमें यूपी पेट्रोल पम्प डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बी.एन. शुक्ला के पम्प भी शामिल हैं। लखनऊ में अचानक हुई इस हड़ताल की वजह से लोगों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। सरकारी पेट्रोलियम कम्पनियों से इतर कम्पनियों के पम्पों पर उपभोक्ताओं की लम्बी-लम्बी कतारें देखी गयीं। हालांकि राज्य सरकार ने इस हड़ताल के जल्द खत्म होने की उम्मीद जतायी है।
कैबिनेट मंत्री सुरेश खन्ना ने आज इस बारे में पूछे जाने पर संवाददाताओं को बताया कि राज्य सरकार पेट्रोल पम्प मालिकों के दबाव में नहीं आएगी। पुलिस ने जो कार्रवाई की वह न्यायसंगत और उपभोक्ताओं के हित में थी। पम्प मालिकों का प्रतिनिधिमण्डल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर सकता है और हमें उम्मीद है कि यह गतिरोध जल्द दूर हो जाएगा। मालूम हो कि एसटीएफ ने गत 27 अप्रैल की रात को लखनऊ के सात पेट्रोल पम्पों पर छापा मारकर इलेक्ट्रानिक चिप के जरिये पेट्रोल चोरी करने के गोरखधंधे का भण्डाफोड़ किया था।
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एसटीएफ के अपर पुलिस अधीक्षक अरविन्द चतुर्वेदी के मुताबिक बल ने एक इलेक्ट्रीशियन को पकड़ा था जो पेट्रोल पम्प की मशीनों में चिप लगाता था, जिसकी मदद से गाड़ियों में पेट्रोल भरते वक्त उसे रिमोट के जरिये नियंत्रित करके तेल चोरी की जाती थी। इस बड़े गोरखधंधे के मामले में कुल 14 लोगों को हिरासत में लिया गया है। इस खुलासे पर एसटीएफ ने राजधानी के सात पेट्रोल पम्पों पर एक साथ छापा मारा था और सभी की मशीनों में वह चिप लगी पायी गयी। करीब 200 मीटर की दूरी तक सिग्नल पकड़ने वाली उस चिप को पम्प परिसर में कहीं भी बैठा व्यक्ति रिमोट के जरिये नियंत्रित करता था। जब रिमोट का बटन दबाया जाता था तो पाइप से पेट्रोल गिरना बंद हो जाता था, जबकि मीटर पर पेट्रोल की मात्रा और रुपयों का नम्बर उसी रफ्तार से चलता रहा था।
करीब तीन हजार रुपये की उस चिप के जरिये प्रति लीटर 50 से 100 मिलीलीटर तेल चोरी किया जाता था। अनुमान के मुताबिक एक पेट्रोल पम्प पर प्रति दिन 10 से 15 लाख रुपये का पेट्रोल चोरी किया जा रहा था।