शिवपाल यादव का भाजपा समर्थन – हाल ही में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक मीडिया कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक सवाल के जवाब में जो कहा उसके बाद से मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की नींद उड़ी हुई है. यह भी पढ़े:> अभी-अभी: लगातार हुए 900 धमाके, इस धमाके से दहल उठा पूरा देश…
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योगी आदित्यनाथ से जब ये पूछा गया कि मुलायम सिंह यादव के भाई शिवपाल यादव का भाजपा समर्थन का क्या आप उसका स्वागत करेंगे. इस पर योगी आदित्यनाथ ने कहा कि यदि कोई उनके पास यूपी के विकास से जुड़ी योजना लेकर आता है तो उसका स्वागत है.
कुछ जानकार इसकों संकेतों में शिवपाल के भाजपा से नजदीकी के रूप में देख रहे हैं. गौरतलब है कि ये सवाल इसलिए महत्वपूर्ण हो गया है कि अभी कुछ दिन पहले ही शिवपाल यादव ने मुख्यमंत्री योगी से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की है.
वहीं दूसरी ओर अखिलेश से नाराज मुलायम सिंह यादव के छोट बेटे प्रतीक यादव और उनकी पत्नी अपर्णा यादव ने भी मुख्यमंत्री से मुलाकत की थी. उस समय भी इस प्रकार के कयास लगाए गए थे.
जिस प्रकार सपा की अंदरूनी लड़ाई के बाद शिवपाल और अपर्णा यादव भाजपा नेताओं से मुलाकत कर उनकी नीतियों की तारीफ करते रहे हैं उससे मुलायम सिंह यादव की नींद उड़ी हुई है. उनको अपना बनाया हुआ राजनीति किला अपनी ही आंखों के सामने ढ़हता हुआ नजर आ रहा है. क्योंकि जिस प्रकार अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी पर आधिपत्य को लेकर अड़े हुए हैं उसमें सपा दो नहीं बल्कि तीन फाड़ होती मुलायम सिंह यादव को साफ नजर आ रही है.
वहीं उनके चाचा और उनका छोटा भाई व उसकी पत्नी भाजपा का गुणगान कर रही है उसने अखिलेश यादव के माथे पर चिंता की लकीरे बढ़ा दी हैं. क्योंकि यदि शिवपाल और अपर्णा सपा से अलग होकर कोई ना दल बनाते तो अखिलेश को अधिक नुकसान नहीं होता. लेकिन उनके भाजपा में जाने से सपा के वोट बैंक पर खासा असर पड़ने के अलावा इसका लाभ भाजपा को मिलेगा. जो सपा के लिए राजनीति रूप से घाटे का सौदा होगा.
आपको बतां दें कि यादव समुदाय में भाजपा को लेकर वैसी दूरी नहीं है जिस प्रकार मुसलमान मतदाता में देखी जाती है. यादव मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग भाजपा को वोट भी करता है.
शिवपाल यादव का भाजपा समर्थन ही कारण है कि अखिलेश डर है कि यदि उनके परिवार के सदस्यों ने भाजपा ज्वाइन की या अलग दल बनाकर भाजपा के साथ समझौता किया तो उनके लिए चुनावों में मुश्किल खड़ी हो सकती है.
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