मदरसों के कामकाज में राज्य सरकारों के दखल से बचने के लिए दारुल उलूम देवबंद ने 3,000 से ज्यादा मदरसों से कहा है कि वे सरकारी सहायता लेना बंद कर दें. ये मदरसे दारुल उलूम देवबंद से संम्बद्ध हैं. वैसे तो ये मदरसे देश के कई हिस्सों में हैं, लेकिन इनकी ज्यादा संख्या यूपी में ही है. योगी सरकार ने मदरसों पर काफी सख्ती की है. इससे ऐसा लगता है कि मदरसा प्रबंधक अब यूपी सरकार के दखल से बचने का रास्ता निकाल रहे हैं.अभी-अभी हुआ एक सड़क हादसा: एक ही परिवार के 5 लोगों की मौत, ग्रामीणों ने किया चक्काजाम
इन मदरसों का ज्यादातर खर्च मुस्लिम समुदाय द्वारा दिए गए चंदे से चल जाता है और सरकारी सहातया से मुख्यत: शिक्षकों का वेतन दिया जाता है. लेकिन अब टीचर्स का वेतन भी समुदाय के चंदे से दिया जाएगा.
गैर मुस्लिमों से मेलजोल बढ़ाने का निर्देश
हाल में मदरसा प्रबंधन की रब्ता-ए-मदरिस (आमसभा) में आठ बड़े निर्णय लिए गए. इनमें एक निर्णय एड यानी आर्थिक सहायता न लेने का निर्देश भी था. इसके अलावा, सभी मदरसों के प्रबंधन से यह कहा गया है कि वे अपने प्रॉपर्टी का रिकॉर्ड अपडेट रखें और गैर मुसलमानों के साथ भी सौहार्द्रपूर्ण रिश्ते रखें. इसके लिए गैर मुस्लिमों को मुसलमानों के तमाम त्योहारों और उत्सवों में आमंत्रित करने को भी कहा गया है.
असल में जो मदरसे सरकारी सहायता लेते हैं उन्हें स्कूलों के लिए बने राज्य सरकार के निर्देश का पालन करना पड़ता है. यूपी में योगी के सीएम बनने के बाद से ही मदरसे बीजेपी सरकार के निशाने पर हैं. यूपी के मदरसों के लिए पिछले साल एक पोर्टल बनाकर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने और स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण और राष्ट्रगान की वीडियोग्राफी करने के फरमान के बाद नए साल में योगी सरकार ने उनकी विशेष धार्मिक छुट्टियों पर कैंची चला दी.
यही नहीं, रक्षाबंधन, महानवमी, दशहरा और दिवाली जैसे पर्वों पर मदरसों में अवकाश घोषित कर दिया. पिछले साल जुलाई में योगी सरकार ने एक पोर्टल बनाया, जिस पर सभी मदरसों के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया था. इस पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं करने वाले मदरसे सरकारी अनुदान से वंचित हो जाएंगे.