एसजीपीजीआई में ट्रॉमा सेंटर के संचालन के लिए बजट में 25 करोड़ रुपये मिले हैं। इसमें से 12.5 करोड़ इसके विस्तार तो 12.5 करोड़ उपकरणों पर खर्च कि ए जाएंगे। यानी यह ट्रॉमा सेंटर सही से चल सकेगा। इससे केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर पर लोड कम होगा तो गंभीर रूप से घायलों को बेहतर इलाज मिल सकेगा। मीटिंग के बाद तेजस्वी ने कहा- भ्रष्टाचार के वक्त मैं बच्चा था, बीजेपी कर रही है साजिश
एसजीपीजीआई ट्रॉमा सेंटर की बिल्डिंग करीब छह साल पहले से तैयार थी। एसजीपीजीआई का कहना था कि जब तक उसे पूरे संसाधन नहीं मिल जाते वह इस सेंटर को नहीं चलाएगी। केजीएमयू के पूर्व कुलपति प्रो. रविकांत ने आधे खर्च में इसे चलाने का दावा किया था।
करीब दो साल पहले केजीएमयू ने अपने संसाधनों से इसे शुरू कराया। इसके लिए 175 सीनियर व जूनियर रेजीडेंट्स का बंदोबस्त किया। यहां आर्थोपेडिक और सर्जरी के केसेज देखे जा रहे थे हालांकि न्यूरोसर्जरी के केस ट्रॉमा-1 यानी केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर भेजे जाते थे। नई सरकार आते ही इसे फिर से एसजीपीजीआई को दे दिया गया।
चुनौतियां अब भी हैं
जानकारों का मानना है कि इससे एसजीपीजीआई ट्रॉमा सेंटर सही से चलने की आस तो जगी है, पर चुनौतियां कम नहीं हैं। केजीएमयू ने अपने जो संसाधन वहां लगाए पहले उनका बंदोबस्त करना होगा।
1418 करोड़ रुपये की योजनाएं मिलीं
सीएम योगी आदित्यनाथ
राजधानी को बजट में 1418 करोड़ रुपये की योजनाएं मिलीं। स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा और अधूरे कार्यों को पूरा करने पर फोकस किया गया है। गोमती रिवर फ्रंट के बचे कार्यों के लिए 250 करोड़ तो हाईकोर्ट भवन के बचे कार्यों के लिए 300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
हाईकोर्ट की नई इमारत में सफाई के लिए 50 करोड़ का प्रावधान है। लखनऊ मेट्रो रेल प्रोजेक्ट को 233 करोड़, जेपीएनआईसी को 32.60 करोड़, सीजी सिटी परियोजना के कामों के लिए 150.05 करोड़ का बंदोबस्त किया गया है। आउटर रिंग रोड के लिए 40 करोड़ दिए गए हैं।
गोमती बैराज पुल अफसरों की ‘नादानी’ के चलते हिल गया। शहर में रोज जाम लग रहा है। पर इस पुल को दुरुस्त कराए जाने को लेकर नई सरकार में भी तत्परता नहीं दिख रही। बजट में भी इसके लिए कोई प्रावधान नहीं किए गए।