लखनऊ। गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में बीते एक हफ्ते में 60 से ज्यादा बच्चों की मौत प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के दामन पर वो दाग है जो कभी धुलने और मिटने वाला नहीं है। वोट पाने खातिर जिस सरकार ने 36,000 करोड़ रुपये किसानों के कर्ज माफ करने पर खजाने के खर्च कर दिये, उस सरकार के पास 68 लाख रुपये भी नहीं थे जो 34 बच्चों की जान बचा सके।
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ऑक्सीजन के बकाये का भुगतान नहीं हुआ तो सप्लायर ने ऑक्सीजन की सप्लाई रोक दी जिससे इन बच्चों की मौत हुई है। इस लापरवाही में बीआरडी अस्रताल के प्रिसिंपल पर सरकार ने कारवाई करते हुये सस्पेंड कर दिया। पर योगी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने ऐसा बयान दिया जो मरने वाले बच्चों के परिवार वालों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम कर रहा है।
योगी सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि “अगस्त महीने में पेडियाट्रिक बच्चों के सेक्शन में 2014 में 567 बच्चों की मौत हुई थी। तो 2015 अगस्त महीने में 668 बच्चों की मौत हुई, औसतन 19 प्रति दिन, 2016 में 587 बच्चों की मौत हुई, औसत 19.50 बच्चों की मौत प्रति दिन।”सिद्धार्थनाथ सिंह यहीं नहीं रुके उन्होंने कहा कि “बच्चों की मौतों का आंकड़ा देखकर समझने का वे प्रयास कर रहे थे कि आगे क्या किया जाये।”
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अब सवाल उठता है कि समझने के लिये कुछ बचा है क्या ? आखिर समझने के लिये और कितने बच्चों की मौतों का वे इंतजार करेंगे। और जब सिद्धार्थनाथ सिंह को पहले से पता था कि अगस्त में बच्चे मरते हैं तो स्वास्थ्य मंत्री की सरकार और जिस विभाग के वे मंत्री हैं उसनें बच्चों को मरने से रोकने के लिये क्या किया। बच्चों की मौत के आंकड़ें गिनाकर अपनी सरकार और विभाग की नाकामी छिपाने में लगे रहे स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह। जिससे ये साबित किया जा सके कि पूर्व की सरकार के राज में अगस्त महीने में ज्यादा बच्चे मरा करते थे।
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हास ही में स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह दिल्ली आये थे सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद और स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा से मुलाकात करने जिससे प्रदेश में ई-हॉस्पिटल की शुरुआत की जा सके जिससे प्रदेश के दूरदराज से लोग 11 बड़े अस्पतालों में आकर आसानी से इलाज करा सकें। पर अफसोस अगर ऑक्सीजन के अभाव में 30 से ज्यादा मासूम बच्चों की मौत हो जाये वहां ई-अस्पताल लोग लेकर क्या करेंगे।