एक महीने में चार भाजपा सांसदों द्वारा योगी सरकार की शिकायत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से करने के पीछे आखिर वजह क्या है। इसे लेकर कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। कहा जा रहा है कि यह सभी दलित सांसद योगी से नहीं बल्कि मोदी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की कार्यशैली से खौफ में हैं कि कहीं इस बार उनका टिकट न कट जाए।
यह भी चर्चा है कि पार्टी ने 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए जो कार्ययोजना तैयार की है, उसमें करीब 50 प्रतिशत सांसदों के टिकट काटे जा सकते हैं। कहा जा रहा है कि टिकट कटने की वजह सांसदों का रिपोर्ट कार्ड अच्छी नहीं होना है। यही वजह है कि कुछ सांसद दलितों के नाम पर अपना वोट बैंक मजबूत बनाए रखने के लिए अपनी ही सरकार के विरोध में उतर आए हैं।
चारों सांसदों में सबसे ताजा प्रकरण इटावा के सांसद अशोक दोहरे का है। दोहरे भाजपा में आने से पहले बसपा के प्रमुख नेताओं में रह चुके हैं। 2007 में वह मायावती की यूपी सरकार में मंत्री भी थे। यह बात सभी जानते हैं कि उन्हें एक मामले में आरोपी पाए जाने पर मायावती ने पार्टी से बाहर कर दिया था।
दोहरे दलितों में पकड़ की वजह से 2014 में भाजपा के खेमे में आने में सफल हो गए। उन्हें टिकट भी मिला और जीत भी हुई। पिछले दिनों यूपी की दो सीटों फू लपुर और गोरखपुर में हुए उप चुनाव में सपा और बसपा के एक साथ होने के बाद जो नया समीकरण बना है, उससे उन्हें फिर से बसपा में अपना भविष्य दिखने लगा है।