महिलाओं के जीवन में प्रेग्नेंसी का दौर काफी महत्वपूर्ण होता है। चेहरे पर आने वाले बच्चे की खुशी होती है तो साथ ही साथ कुछ तकलीफें भी उन्हें परेशान करती रहती हैं। प्रेगनेंसी के समय में महिलाओं का शरीर कई तरह के हार्मोनल परिवर्तन के दौर से गुजर रहा होता है। ऐसे में स्वभाव में चिड़चिड़ापन, कुछ भी अच्छा न लगना, कमजोरी, थकान, पांवों में दर्द आदि कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में इन समस्याओं से निपटने में योग का सहारा लिया जा सकता है। नियमित योग से गर्भवती महिलाएं हर तरह की तकलीफ से छुटकारा पा सकती हैं।
गर्भावस्था के दौरान योग करने से न सिर्फ तात्कालिक तकलीफों से छुटकारा मिलता है बल्कि इससे भ्रूण के समुचित विकास में भी काफी मदद मिलती है। प्रेगनेंसी में योग करने से बहुत से हैप्पी हार्मोंस शरीर से रिलीज होते हैं जिन्हें एंडॉर्फिंस कहा जाता है। यह होने वाली मां को एनर्जटिक और पॉजिटिव बनाए रखता है। आज हम ऐसे ही कुछ योगासनों की बात करेंगे जो प्रेग्नेंसी के दौरान किए जा सकते हैं।
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वक्रासन – अपने पांवों को सीधा फैलाकर बैठ जाएं।सांस खींचते हुए हाथों को कंधे के समानांतर ले आएं। हथेलियां नीचे की ओर हों। अब सांस छोड़ते हुए अपने शरीर को कमर से मोड़ते हुए हाथ और सिर साथ साथ दाईं ओर ले जाएं।हाथ को जितना हो सके उतना पीछे ले जाने की कोशिश करें। अब सांस खींचते हुए पूर्व अवस्था में लौट आएं। इस आसन को करने से स्पाइन. हाथ, पैर और गले का एक्सरसाइज हो जाता है।
कोणासन- इसमें अपने दोनों पैरों को 24 इंच तक फैला लें। अब सांस लेते हुए कमर को धीरे-धीरे बाईं तरफ झुकाते हुए बाएं हाथ से बाएं पैर की उंगलियों को छूने की कोशिश करें। दायां हाथ बिल्कुल सीधा कनपटियों से लगाकर सिर की सीध में रखें। अब सांस छोड़ते हुए पूर्वावस्था में लौट आएँ। दाएं तरफ भी इसी क्रिया को दुहराएं। इस आसन को करने से कमरदर्द से राहत मिलती है। कमर लचीला होता है जिससे प्रसव के दौरान काफी मदद मिलती है।
पर्वतासन- इसे करने के लिए सबसे पहले पद्मासन या सिद्धासन में बैठ जाएं। सांस खींचते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाएं और कानों से सटाते हुए दोनों हथेलियों को आपस में जोड़ें। कुछ सेकंड ऐसे रहने के बाद पहले की स्थिति में लौट आएँ। यह आसन पीठदर्द में काफी राहत देता है।