नई दिल्ली: रक्षा मंत्रालय ने महिला अधिकारियों को भारतीय सेना की उन सभी दस ब्रांच में स्थायी कमीशन दिया जाने का फैसला किया है ,जहां महिलाओं को शॉर्ट सर्विस कमीशन एसएससी में शामिल किया जाता था। बता दें कि 15 अगस्त को लाल किले के प्राचीर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सेनाओं में शार्ट सर्विस कमीशन एसएससी के जरिए भर्ती होने वाली महिला अफसरों को स्थाई कमीशन दिए जाने की घोषणा की थी।
अभी भी सेनाओं में महिला अफसरों को स्थाई कमीशन दिया जाता है लेकिन वह कुछ गैर युद्ध ब्रांचों तक ही सीमित है। संभावना है कि इसका दायरा बढ़ाया जाएगा। युद्धक ब्रांचों में भी एंट्री दी जा सकती है। सेना में शार्ट सर्विस कमीशन एसएससी के जरिये जो अफसर भर्ती होते हैंए वह 14 साल तक सेवाएं दे पाते हैं। पहले यह अवधि महज दस साल थी। लेकिन छठे वेतन आयोग के बाद इसे 14 साल किया गया। हालांकि सातवें वेतन आयोग ने यह विकल्प दिया है कि कोई सात साल की सेवा के बाद सेवा छोडऩा चाहता है तो उसे गोल्डन हैंडसेक दिया जाए।
महिला अफसरों की भर्ती सिर्फ इसी रूट से होती है। तीनों सेनाओं में करीब साढ़े तीन हजार महिला अधिकारी एसएससी के जरिए भर्ती होकर कार्य कर रही हैं। 14 साल की सेवा के बाद शिक्षा, कानून, सिग्नल, इंजीनियरिंग आदि सेवाओं में महिला अफसरों को स्थाई कमीशन दिया जाता है। महिला अफसरों के एक समूह ने स्थाई कमीशन का दायरा बढ़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में रिट फाइल कर रखी है जिसके जवाब में सरकार ने इसका दायरा बढ़ाने की बात भी स्वीकार की है। सिर्फ वायुसेना में युद्धक मोर्चे पर महिलाओं की एंट्री हुई है।
अब तक पांच महिलाओं को लड़ाकू विमान उड़ाने के लिए नियुक्ति किया गया है। जबकि सेना ने मिलिट्री पुलिस और वायुसेना ने टोही विमान पायलट के लिए महिलाओं की एंट्री को अनुमति दी है। दरअसल शार्ट सर्विस कमीशन शुरू करने के पीछे मकसद यह था कि सैन्य बलों में बीच के स्तर पर अफसरों की कमी दूर की जाए। इसलिए इसकी अवधि कम रखी गई। सबसे बड़ी थलसेना है। वह एसएससी के जरिए ज्यादा अफसर भर्ती करने की इच्छुक है लेकिन स्थाई कमीशन को हतोत्साहित करना चाहती है। क्योंकि उसे उच्च स्तर पर ज्यादा अफसरों की जरूरत नहीं है। यदि ज्यादा स्थाई कमीशन दिए गए तो उच्च अफसरों की संख्या बढ़ जाएगी।