60 फीसदी वाहन मालिक गाड़ियों का इंश्योरेंस नहीं कराते हैं। मोटरसाइकिल और स्कूटर रखने वाले ज्यादातर लोग वाहन खरीदते वक्त तो अपने वाहन का इंश्योरेंस करा लेते हैं, लेकिन इसके बाद यह कराने से बचते हैं। हालांकि सबसे ज्यादा दुर्घटनाओं के शिकार भी दोपहिया वाहन चालक होते हैं।
जनरल इन्श्योरेंस काउंसिल (जीआईसी) द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, 2015-16 में केवल 8.26 करोड़ लोगों ने अपने वाहन का बीमा करा रखा था। मोटर वाहन एक्ट के अनुसार किसी तरह की गाड़ी का इंश्योरेंस कराना अनिवार्य है।
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रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2015-16 में देश में 19 करोड़ से अधिक प्राइवेट वाहन रजिस्टर्ड थे। इन वाहनों में दोपहिया वाहनों की संख्या सबसे ज्यादा है जो कि अधिकांश छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों में रजिस्टर्ड हैं।
जीआईसी ने कहा कि ज्यादातर छोटे शहरों में वाहन मालिक अपने वाहनों का दूसरी बार इंश्योरेंस नहीं कराते हैं। बड़े शहरों में रहने वाले लोग इस मामले में ज्यादा सजग रहते हैं, क्योंकि ट्रैफिक पुलिस द्वारा चालान करने का डर हमेशा लोगों के मन में रहता है। पुलिस भी बड़े शहरों में बिना इंश्योरेंस वाले वाहन मालिकों से सख्ती से पेश आती है।
जीआईसी के सचिव आर चंद्रशेखरन ने बताया कि 2012-13 में भी इस तरह का आंकड़ा आया था। तब पूरे देश में 15 करोड़ वाहन रजिस्टर्ड थे, जिसमें से केवल 6.02 करोड़ वाहनों का बीमा था। उसके बाद सरकार द्वारा वाहन मालिकों बीमा लेने पर बाध्य करने के बाद इसमें काफी इजाफा हुआ था।
सरकार के आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल 5 लाख से अधिक सड़क दुर्घटनाएं हुई थी जिनमें लाखों लोग घायल हुए थे या फिर उनकी मौत हो गई थी। इसमें से 29 फीसदी एक्सीडेंट दोपहिया वाहन से, 23 फीसदी कार और जीप से एवं 8.3 फीसदी बस से हुए थे।
वाहन का बीमा न होने की वजह से एक्सीडेंट में घायल लोगों के परिवारीजनों पर इलाज कराने के लिए खुद पैसा खर्च करना पड़ता है, क्योंकि इनको सरकार या बीमा कंपनी से किसी तरह का कोई मुआवजा नहीं मिलता है।