राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने छुट्टी के दिन हाईकोर्ट खुलवाकर स्पेशल बेंच बैठाया मगर कोर्ट की मेहनत काम नहीं आई और भारत में पाकिस्तान के हिन्दुओं को शरण नहीं मिल पाई. साहिब मेनन फांसी मामले के तर्ज पर इमरजेंसी बेंच पहली बार राजस्थान में बैठी थी. हाईकोर्ट में स्पेशल बेंच के गठन के आदेश के बावजूद शरणार्थी हिन्दू परिवार को न्याय नहीं मिल पाया. हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद पुलिस ने इन्हें पाकिस्तान भेज दिया. हिन्दू परिवार के 9 लोगों को दुखी मन से पाकिस्तान जाना पड़ा. जब तक कोर्ट का आदेश लेकर पुलिस पहुंची तब तक थार एक्सप्रेस नामक ट्रेन भारत के आखिरी स्टेशन मुनाबाव को छोड़ चुकी थी.डरपोक है मोदी डरता है मुझसे इसीलिए करवाया मुझपर जानलेवा हमला: राहुल गाँधी
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में स्पष्ट तौर पर कहा था कि किसी भी हाल में और किसी भी तरीके से जिम्मेदार अधिकारियों से संपर्क कर उनकी रवानगी रोकी जायए. अग्रिम आदेशों तक हिन्दुस्तान में रहने की भी इजाजत दी जाए, लेकिन प्रशासन ने इस परिवार को पाकिस्तान भेजने में ही तत्परता दिखाई. इसके बजाय यदि अदालती आदेश के पालन में तत्परता दिखाई गई होती तो शायद हाईकोर्ट की मेहनत काम आ जाती.
पुलिस आखिर में ट्रेन के पीछे जीप लेकर भागी लेकिन तब तक ट्रेन जीरो लाईन पार कर चुकी थी. पाकिस्तान ने ट्रेन वापस करने से मना कर दिया. आखिरकार हिन्दू परिवारों को भारत छोड़ना पड़ा. राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर के जस्टिस विजय विश्नोई की विशेष अदालत ने आदेश दिया था.
पाकिस्तान के सिंध प्रांत के रहनेवाले चंदू और धाल का परिवार थार एक्सप्रेस के जरिए भारत आया था मगर वहां पर इस हिंदू परिवार के उपर हो रहे जुल्मों की वजह से वे वापस पाकिस्तान नही जाना चाहते थे.
हिंदू शरणार्थी सीमान्त संगठन का कहना है कि बीजेपी ने पाकिस्तान में उत्पीड़न की वजह से भारत आनेवाले हिंदूओं को नागरिकता देने का वादा किया था मगर अब केंद्र और राज्य में बीजेपी की सरकार होने के बावजूद हिंदूओं को जबरन पाकिस्तान भेजा जा रहा है. भारत के सीमावर्ती जिलों में 50 हजार से ज्यादा पाकिस्तानी हिंदू शरणार्थी रह रहे हैं.