निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया और विनोद सरोज के सपा के रात्रिभोज में शामिल होने से भाजपा की चुनौती बढ़ती हुई नजर आ रही है। बुधवार देर रात हुए इस राजनीतिक घटनाक्रम से भाजपा के नौवें उम्मीदवार की जीत का रास्ता कुछ कठिन और बसपा प्रत्याशी का रास्ता पहले की तुलना में आसान होता नजर आ रहा है। राजा भैया ने समाचार चैनलों से कहा कि वह अखिलेश यादव के साथ थे, हैं और रहेंगे। इससे तय हो गया है कि भाजपा के लिए अपने नौवें उम्मीदवार की जीत का समीकरण अब पूरी तरह से सेंधमारी पर ही निर्भर हो गया है।
पहले राजनीतिक गलियारों में माना जा रहा था कि राजा भैया और उनके सहयोगी विनोद सरोज सहित सभी चार निर्दल विधायकों के वोट भाजपा प्रत्याशी को मिलेंगे। राष्ट्रपति चुनाव में राजा भैया ने भाजपा का साथ दिया था। चर्चा थी कि राजा भैया के कहने पर ही पिछले वर्ष सपा एमएलसी यशवंत सिंह ने विधान परिषद से इस्तीफा दिया था।
यशवंत की सीट से ही मुख्यमंत्री विधान परिषद के जरिये विधानमंडल के सदस्य हुए हैं। पर, बताया जाता है कि यशवंत को राज्यसभा का उम्मीदवार न बनाए जाने से वह नाराज थे। भाजपा की तरफ से हालांकि मनाने की कोशिश की गई, पर उनकी नाराजगी दूर नहीं हुई।
बुधवार को उन्होंने अखिलेश यादव के रात्रिभोज में शामिल होकर भविष्य का संकेत दे दिया। बदली परिस्थितियों की जानकारी मिलने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष समेत वरिष्ठ नेताओं से देर रात तक चुनावी गणित पर मंथन करते रहे।