सनातन परंपरा में गुरु के प्रति अपार आदर अर्पित है और यह विरासत रामनगरी में रविवार को नए सिरे से परिभाषित हुई। मौका, गुरुपूर्णिमा का था और मौके के अनुरूप प्रात: से ही गुरु के प्रति अनुराग परिलक्षित हुआ। कोरोना संक्रमण के चलते रामनगरी में श्रद्धालुओं का आगमन निषिद्ध किया गया है। इसके बावजूद गुरुपूर्णिमा शिद्दत से गुलजार हुई। हालांकि पूर्व की अन्य गुरुपूर्णिमा की भांति शिष्यों-श्रद्धालुओं का प्रवाह तो नहीं था, पर गुरु के प्रति समर्पण की रंगत कम चटख नहीं थी। शिष्यों का सर्वाधिक दबाव शीर्ष पीठ मणिरामदास जी की छावनी की ओर रहा। छावनी पीठाधीश्वर महंत नृत्यगोपालदास का पूजन करने वालों की लंबी कतार लगी रही। यह सिलसिला छावनी से कुछ ही फासले पर स्थित एक अन्य शीर्ष पीठ रामवल्लभाकुंज में भी परवान चढ़ा। रामवल्लभाकुंज के महंत रामशंकरदास वेदांती सहित मंदिर के अधिकारी राजकुमारदास के प्रति प्रात: से ही शिष्यों का आदर प्रकट हुआ।
इससे पूर्व पीठ के पूर्वाचार्यों के विग्रह का विधि-विधान से अभिषेक-पूजन किया गया। आचार्य पीठ दशरथमहल बड़ास्थान में गुरुपूर्णिमा महोत्सव की शुरुआत पीठ के संस्थापक एवं साधना-सिद्धि के पर्याय माने जाने वाले स्वामी रामप्रसादाचार्य के विग्रह पूजन से हुई। दशरथमहल के वर्तमान पीठाधीश्वर विदुगाद्याचार्य देवेंद्रप्रसादाचार्य ने आचार्य विग्रह का अभिषेक-पूजन के साथ आरती की एवं भोग लगाया। इसके बाद स्वयं उनका पूजन शुरू हुआ। गुरु परंपरा के प्रतिनिधि आचार्य जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य के रामघाट स्थित आश्रम पर भी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। जगद्गुरु ने आद्याचार्य एवं अपने गुरु स्वामी हर्याचार्य का पूजन कर उत्सव की शुरुआत की। मधुर उपासना परंपरा की प्रधान पीठ रंगमहल के महंत रामशरणदास के पूजन के लिए भी शिष्यों की कतार लगी। इनमें जन साधारण से लेकर नौकरशाह, उद्यमी आदि शामिल रहे। रामघाट स्थित दिग्गज शास्त्रज्ञ ब्रह्मलीन स्वामी अखिलेश्वरदास की पीठ रामकुंज कथामंडप भी आस्था के केंद्र में थी। रामकुंज के वर्तमान पीठाधीश्वर महंत रामानंददास के संयोजन में संपादित पूजन-अनुष्ठान के साथ शिष्यों की बड़ी पांत उनके पूजन में लगी। रसिक उपासना परंपरा की शीर्ष पीठ लक्ष्मणकिला में गुरुपूर्णिमा का उल्लास पूर्वाचार्यों के पूजन से छलका। वर्तमान लक्ष्मणकिलाधीश महंत मैथिलीरमणशरण का पूजन करने वालों का तांता लगा। दिग्गज आचार्य पं. उमापति त्रिपाठी की पीठ तिवारी मंदिर पर भी शिष्यों का सैलाब उमड़ा। पं. उमापति के वंशज एवं तिवारी मंदिर के वर्तमान महंत गिरीशपति त्रिपाठी का शिष्यों ने प्रात: से अपराह्न तक पूजन किया। निष्काम सेवा ट्रस्ट में महंत रामचंद्रदास ने गुरु विग्रह के पूजन से उत्सव की शुरुआत की। इसके बाद शिष्यों ने उनका पूजन किया। निर्वाणी अनी अखाड़ा के श्रीमहंत धर्मदास के प्रति भी शिष्यों का अनुराग छलका। टेढ़ीबाजार स्थित कालिकुलालय तंत्र साधना संस्थान में शिष्यों ने संस्थान प्रमुख डॉ. रामानंद शुक्ल की पूजा की।
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बजरंगबली की प्रधानतम पीठ रही आस्था के केंद्र में
– बजरंगबली की प्रधानतम पीठ हनुमानगढ़ी आस्था के केंद्र में रही। रामानंदीय परंपरा के संत हनुमान जी को आद्याचार्य मानते हैं और इसी मान्यता के अनुरूप बजरंगबली के प्रति आस्था की धार प्रवाहित हुई। हनुमानगढ़ी से जुड़े शीर्ष महंत ज्ञानदास ने उत्सव की शुरुआत की। तदुपरांत उनकी पूजा के लिए शिष्यों की कतार आगे आयी।
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नाका हनुमानगढ़ी भी रही गुलजार
– रामनगरी के कुछ फासले पर स्थित नाका हनुमानगढ़ी भी गुरुपूर्णिमा पर गुलजार हुई। पीठाधिपति महंत रामदास ने गुरु भास्करदास के चित्र का पूजन किया। तदुपरांत शिष्यों ने उनका पूजन किया। इससे पूर्व हनुमान जी सहित मंदिर परिसर के अन्य देवी देवताओं का अभिषेक-पूजन विधि-विधान से किया गया।