भगवान् राम लक्ष्मण और हनुमान जी के विषय में कौन नहीं जानता. भगवान् राम को सबसे अधिक केवल दो ही लोग प्रिय थे एक हनुमान जी और दूसरे उनके अनुज लक्ष्मण जिन्हें भगवान राम अपने प्राणों से अधिक प्रेम करते थे. लेकिन क्या आप जानते है की लक्ष्मण की मृत्यु का कारण भी भगवान् राम ही थे जिन्होंने आपने प्राणों से प्रिय भाई को मृत्युदण्ड दिया था. आइये जानते है कि किस कारण से भगवान राम ने लक्ष्मण को मृत्यु दण्ड दिया था?
भगवान् राम के राज्याभिषेक के बाद एक बार मृत्यु के देवता को भगवान राम से किसी गुप्त विषय पर चर्चा करना था जिसके कारण वह एक सन्यासी का वेश धारण करके भगवान् राम से मिलने अयोध्या पहुंचे. किन्तु अपनी बात प्रारंभ करने के पूर्व उन्होंने भगवान् से वचन लिया की यदि हम दोनों की इस गोपनीय बात में कोई व्यक्ति बाधा डालता है तो आप उसे मृत्यु दण्ड देंगे. मुझे ज्ञात है कि सूर्यवंशी अपने वचन के पालन के लिए कुछ भी करने के तत्पर होंते है.
भगवान् राम ने यमदेव को वचन दे दिया पर बाद में उनके मन में विचार आया की यदि किसी को कोई महत्वपूर्ण बात करना हो तो वह पहरेदार से कहेगा और पहरेदार मेरे पास सन्देश लेकर आएगा जिससे मुझे उसे मृत्यु दण्ड देना होगा. उनके मन में यह विचार आते ही उन्होंने उस पहरेदार को वहां से हटाकर अपने अनुज लक्ष्मण को उसके स्थान पर खड़ा कर दिया और कहा की कोई भी कितना भी महत्वपूर्ण कार्य क्यों न आ जाए किसी को भी अंदर प्रवेश नहीं करने देना.
जिस समय भगवान् राम और यमदेव चर्चा कर रहे थे उसी वक्त ऋषि दुर्वासा वहां पहुंचे ऋषि दुर्वासा को सबसे अधिक क्रोध आता था जिसके कारण सभी उनसे भयभीत रहते थे. ऋषि दुर्वासा ने वहां खड़े लक्ष्मण को देखर उन्हें भगवान् राम को संदेशा देने को कहा. तब लक्ष्मण ने सोचा की यदि में ऋषि दुर्वासा को अंदर जाने से रोकता हूं तो इनके क्रोध का भाजन सभी अयोध्या वासी को बनना पड़ेगा. लेकिन यदि में अंदर जाता हूं तो मुझे मृत्यु दण्ड मिलेगा.