यूपी से लेकर मप्र तक भाजपा सरकार लगातार रामराज्य लाने की बात करते हुए दोनों प्रांत के मुख्यमंत्रियों ने काम तो बहुत किए लेकिन भगवान राम की कर्मस्थली वाले विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा को मिली करारी हार का संदेश बहुत दूर तक जाएगा। भाजपाई इसके लिए तमाम बहाने बनाएंगे लेकिन यह हार काफी कुछ कहती है।
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दिग्गज भाजपाइयों का कहना है कि इससे सबक सीखने की भी जरूरत है। वहीं कांग्रेस की परंपरागत वाली सीट पर बेहद दबाव के बीच मिली यह जीत मानों पूरे मप्र की कांग्रेस को संजीवनी दे गई है। उत्साहित कांग्रेसी तो यह भी कहते हैं कि यह जीत भाजपा की ओवर कांफिडेंस और बड़बोलेपन के कारण मिली है। पार्टी उस क्षेत्र (तुर्रा)से हारी जहां उनके सीएम ने रात गुजारी और कई आदिवासी लोगों के घर में खाना खाया था।
धर्मनगरी में हुए विधानसभा के उपचुनाव मेें अतिविश्वास ने भाजपा की नइया डुबो दी। वहीं यह भी कहा जा रहा कि प्रत्याशी के चयन में भाजपा धोखा खा गई। जिससे भाजपा को करारी हार का स्वाद चखना पड़ा। विधानसभा के उप चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चित्रकूट के विकास के लिए कई घोषणाएं की थी। इसके अलावा परिक्रमा लगाने के साथ ही साधू संतों से मिले थे। जिससे भाजपा को लगा कि हिंदुत्वादी विचारधारा के आधार पर चुनाव जीत जाएंगे। लेकिन चुनाव के पहले क्षेत्र का विकास न कराने व प्रत्याशी का सही चयन ठीक से नहीं कर पाई।
कई भाजपा के कार्यकर्ताओं ने बताया कि इस सीट से भाजपा की एक बार मात्र जीत हुई थी। जिसमें गहरवार जीते थे। इस बार उनको टिकट नहीं दिया गया जिससे भाजपा की गणित बिगड़ गई। इस क्षेत्र से कई बार कांग्रेस के विधायक प्रेेम सिंह रहे। उनके निधन होने पर ही विधानसभा के उप चुनाव हुए है। जिससे कहा कि उनके निधन होने से लहर का भी फायदा कांग्रेंस को हुआ है।
भाजपा ने कांग्रेस के दिवंगत विधायक के परिजनों को पार्टी में शामिल कराया था लेकिन कुछ दिनों बाद वह भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। कांग्रेस ने प्रत्याशी चयन में बेहद सावधानी बरती। नीलांशु इंजीनियर हैं। हालांकि वह इंजीनियरिंग न कर समाजसेवा कर रहे हैं। धर्मनगरी क्षेत्र में लगातार वह और उनकी बहन नगर पंचायत अध्यक्ष हैं। उनका व्यक्तित्व और भाजपा से नाराजगी का लाभ कांग्रेस को मिला।