भारत में कई मंदिर हैं जो अपने अंदर कई रहस्यों को समेटे है। लेकिन एक ऐसा रहस्यमी मंदिर भी है जिसका कनेक्शन राष्ट्रपति भवन से है। आज हम आपको इस मंदिर के रहस्यों को बताते हैं। तो चलिए जानते हैं…
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उत्तराखंड में प्रकृति की गोद में बसा यह मंदिर है ‘महासू देवता मंदिर’। यह मंदिर त्यूनी-मोरी रोड पर स्थित है। कहा जाता है कि यहां वह जो भी मनोकामना मांगते हैं, वह जरूर पूरी होती है।
इस मंदिर की दिलचस्प है कि यहां हर साल दिल्ली से राष्ट्रपति भवन को ओर से नमक भेंट किया जाता है। यह मंदिर मिश्रित शैली की स्थापत्य कला को संजोए हुए है।
कहा जाता है कि इस मंदिर के गर्भ गृह में भक्तों का जाना मना है। केवल मंदिर का पुजारी ही मंदिर में प्रवेश कर सकता है। ऐसा क्यों है यह कोई भी नहीं जानता।
वहीं यह बात आज भी रहस्य है। मंदिर में हमेशा एक ज्योति जलती रहती है जो दशकों से जल रही है। और मंदिर के गर्भ गृह में पानी की एक धारा निकलती रहती है। लेकिन वह कहां जाती है, कहां से निकलती है इसके बारे में आज तक कोई पता नहीं कर पाया है।
कहा जाता है कि यह मंदिर एक नहीं चार देवताओं बासिक महासू, पबासिक महासू, बूठिया महासू (बौठा महासू) और चालदा महासू का सामूहिक नाम है। जो कि भगवान शिव के ही रूप हैं।
उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी, संपूर्ण जौनसार-बावर क्षेत्र, रंवाई परगना के साथ साथ हिमाचल प्रदेश के सिरमौर, सोलन, शिमला, बिशैहर और जुब्बल तक महासू देवता की पूजा होती है। इन क्षेत्रों में महासू देवता को न्याय के देवता और मन्दिर को न्यायालय के रूप में माना जाता है।
मान्यता भी है कि महासू ने किसी शर्त पर हनोल का यह मंदिर जीता था। महासू देवता जौनसार बावर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के ईष्ट देव हैं। कहा जाता है कि पांडव लाक्षा ग्रह से निकलकर यहां आए थे। इसलिए इसे भगवान की तरह पूजा जाता है।