उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राष्ट्र-धर्म की रक्षा और निर्दोषों को बचाने के लिए हिंसा करनी पड़े तो यह “धर्मसम्मत मान्य” है। उन्होंने कहा, “हिंदू धर्म किसी का अंत नहीं चाहता, वह ‘अहिंसा परमो धर्मः’ की बात कहता है, लेकिन वह यह भी कहता है कि अहिंसा परम धर्म है, लेकिन राष्ट्र-धर्म की रक्षा और निर्दोषों को बचाने के लिए हिंसा करनी पड़े तो यह धर्मसम्मत मान्य है। यह आह्वान भारत का शास्त्र करता है।”
मजहब से जुड़े महापुरुषों का सम्मान होना चाहिएः योगी
सीएम योगी ने मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की तथा महिलाओं को 100 सिलाई मशीन का भी वितरण किया। पैगंबर मोहम्मद साहब के खिलाफ डासना मंदिर के मुख्य पुजारी यति नरसिंहानंद के आपत्तिजनक बयान के विरोध में अल्पसंख्यक समुदाय द्वारा किए जा रहे देशव्यापी आंदोलन के बीच आदित्यनाथ ने कहा, “हर लोक कल्याण के लिए हर जाति, मत, मजहब से जुड़े महापुरुषों का सम्मान होना चाहिए। कोई व्यक्ति किसी महापुरुष, योगी-सन्यासी के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग करता है तो वह दंड का भागी बनता है, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन विरोध का मतलब तोड़फोड़ या लूटपाट नहीं है, यह कतई स्वीकार नहीं हो सकता।”
कानून को हाथ में लेने का दुस्साहस न करेंः योगी
मुख्यमंत्री ने कहा, “एक तबका हिंदू धर्म के देवताओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी, महापुरुषों को अपमानित व मूर्तियों को खंडित करना जन्मसिद्ध अधिकार समझ लेता है।” उन्होंने कहा कि यदि किसी के द्वारा विद्वेष में कोई शब्द कहे जाते हैं तो उसे लेकर जमीन-आसमान एक करने का कुत्सित प्रयास होता है। मुख्यमंत्री ने आगाह किया कि कानून को हाथ में लेने का दुस्साहस न करें, ऐसा करने वालों को कानून की गिरफ्त में आना ही होगा तथा अराजकता को बढ़ावा देने वाले से कानून सख्ती से पेश आएगा। आदित्यनाथ ने कहा कि हर मत, पंथ व संप्रदाय की आस्था का सम्मान है, लेकिन कानून को हाथ में लाने की स्वतंत्रता नहीं होगी।
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