नई दिल्ली: आलू के समर्थन मूल को लेकर चल रहे बवाल के बीच एक अच्छी खबर किसानों के लिए आयी है। यूपी सरकार किसानों से इस साल करीब दो लाख मीट्रिक टन आलू खरीदेगी। इसके लिए बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा। प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के लिए मंगलवार को कृषि उत्पादन आयुक्त की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय बैठक बुलाई गई है।
आलू का मुद्दा राजनीतिक न बनने देने के लिए योगी सरकार ने हरसंभव कदम उठाने का फैसला किया है। पिछले साल सरकार ने सत्ता संभालने के तत्काल बाद एक लाख मीट्रिक टन आलू 487 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदा था। इससे आलू के बाजार भाव चढ़ गए थे और किसानों को खुले बाजार में भी वाजिब दाम मिल सका।
सूत्रों के मुताबिक इस बार सरकार कम से कम दो लाख मीट्रिक टन आलू खरीदने की योजना बना रही है। यह खरीद केंद्र की बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत की जाएगी। इसके लिए उद्यान विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर लिया है। यहां बता दें कि बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत कुल उत्पादन के 20 फीसदी हिस्से की सरकारी खरीद हो सकती है।
उद्यान विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश में कहीं भी किसानों के पास अब स्टोर करने लायक आलू नहीं है। इस समय किसान कच्चे आलू की खोदाई कर रहे हैं जो उपयोग न होने की स्थिति में 3-4 दिन में ही काला पड़कर खराब हो जाता है।
इसलिए किसान उतने ही आलू की खोदाई कर रहे हैं जितना मंडी में बिक जाए। पूरी तरह से तैयार आलू मार्च में ही बाजार में आता है जिसे स्टोर करने के लिए सरकारी या अन्य निजी एजेंसियां खरीदती हैं।