राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी के सिंहपुर इलाके में प्यास ही प्यास है। गर्मी की चिलचिलाती धूप में धरती की कोख सूखती जा रही है। जल स्तर गिरने से घरेलू हैंडपंप जवाब देने लगे हैं। गांवों में अब कुओं का अस्तित्व लगभग खत्म है। ऐसे में जल निगम से स्थापित पानी की टंकियां ही एकमात्र साधन हैं लेकिन इन दिनों पेंडारा स्थित जल निगम की टंकी उदासीनता की भेंट चढ़ चुकी है। कभी मोटर खराब तो कभी आपरेटर नदारद रहने से पखवारे भर से पानी सप्लाई बाधित है, जिसके चलते इस भीषण गर्मी में पेयजल का एकमात्र सहारा भी छिन जाने से शिवरतनगंज, पेड़ारा, जेहटा उसरहा, खरुल्लागंज, पूरे भगनी, रामपुर पवारा, खरगपुर सहित आधा दर्जन से अधिक गांवों के करीब दस हजार ग्रामीण प्यास से तड़प रहे हैं।
आरोप है कि यहां तैनात आपरेटर स्थानीय होने का फायदा उठा रहे हैं और ड्यूटी के बजाय ज्यादातर समय घर में ही व्यतीत करते हैं, जिससे पानी सप्लाई ठप रहती है और पूछे जाने पर तकनीकी खराबी का बहाना बना दिया जाता है। क्षेत्रीय निवासियों की माने तो यहां तैनात आपरेटर ने पूरे टंकी परिषर को खेती किसानी का जरिया बना रखा है और बोई गयी फसल की सिचाई के वक्त ही पानी छोड़ा जाता है। यही नहीं यह परिषर पशुशाला में भी तब्दील हो चुका है। संजीव बाजपेई ने बताया कि जिम्मेदारों की कार्यशैली पर कई सवाल खड़े करते हैं और कहते हैं कि लापरवाह कर्मचारियों की शिकायत उच्चाधिकारियों से की गयी है।
जगप्रसाद मौर्य कहते हैं कि कर्मियों की मनमानी का खामियाजा गांव वाले भुगत रहे हैं। परिसर में बोई गयी फ सल सिचाई के समय ही कभी कभार पानी दे दिया जाता है। अशोक अवस्थी ने कहा कि महकमे के जिम्मेदार लोग गांव वालों की समस्या पर कोई ध्यान नहीं दे रहे है। यहां पानी टंकी परिसर खेती किसानी और पशु पालन का अड्डा बन चुका है। नीरज शुक्ल ने कहा कि पानी टंकी आपरेटर की मनमानी की भेंट चढ़ चुकी है। यहां आए दिन विद्युत मोटर जल जाने की बात कह कर सप्लाई बाधित की जाती है, जिससे तकरीबन दस हजार लोग पेयजल से वंचित हैं।