महागठबंधन से नाता तोड़ नीतीश कुमार ने बीजेपी से हाथ मिलाया तो, जेडयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने बगावती तेवर अख्तियार कर लिया. शरद अपने आगे की सियासी राह तलाशने के लिए गुरुवार को दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में साझी विरासत बचाओ के नाम से एक सम्मेलन कर रहे हैं. इस सम्मेलन में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सहित 17 राजनीतिक दलों के नेता शामिल हो रहे हैं.
गौरतलब है कि शरद ने नीतीश के खिलाफ नारा बुंलद कर ये संदेश दे दिया है. दोनों के बीच करीब बीस साल पुरानी दोस्ती पर पूर्णविराम लग गया है. यही वजह है कि जेडयू ने शरद को राज्यसभा में अपने संसदीय दल के नेता के पद से हटा दिया गया है. इसके अलावा उनके साथ नीतीश के खिलाफ बगावत करने वाले राज्यसभा के सांसद अली अनवर के खिलाफ भी कार्रवाई की गई. बिहार में शरद यादव के करीबी 21 नेताओं को पार्टी से निकाल दिया गया क्योंकि ये लोग शरद यादव की यात्रा में शामिल हुए थे. पार्टी से निकाले गए नेताओं में पूर्व मंत्री और दलित नेता रमई राम भी शामिल थे जिन्हें शरद यादव कैंप का माना जाता है.
ऐसे में शरद यादव को अपने साथ-साथ अपने करीबी नेताओं सियासी भविष्य के लिए राह तलाश करनी है. ऐसे में उन्होंने विपक्षी पार्टी के नेताओं की बैठक बुलाई, जिसमें देश की 17 पार्टियों के नेता शामिल होंगे. इसमें कांग्रेस से राहुल गांधी और मनमोहन सिंह, गुलाम नबी आजाद सीपीएम से सीताराम येचुरी, एनसीपी से तारिक अनवर को निमंत्रण भेजा है.
साझा विरासत बचाओ सम्मेलन के लिए शरद यादव पूरी जी जान से जुटे हुए हैं ताकि वह विपक्ष को एकजुट करने वाले नेता के तौर पर अपनी पहचान बना सकें. इसके लिए बी आर अंबेडकर के परपोते प्रकाश अंबेडकर को भी बुलाया गया है और महाराष्ट्र के किसान नेता राजू शेट्टी को भी जिनकी संस्था स्वाभिमानी शेतकारी संगठन एनडीए के साथ थी, लेकिन आजकल उनके एनडीए से संबंध ठीक नहीं चल रहे हैं.
शरद से बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कई बार पूछे जाने के बावजूद नीतीश कुमार के खिलाफ कुछ भी नहीं बोला और सिर्फ इतना कहा कि उनका यह सम्मेलन किसी के खिलाफ नहीं है बल्कि देश की साझी विरासत बचाने की कोशिश है. उन्होंने कहा कि किसानों की आत्महत्या रोहित वेमुला जैसे कांड और उना में दलितों पर हमला जैसी घटनाओं ने उन्हें इस सम्मेलन को बुलाने के लिए प्रेरित किया.