रिपोर्ट के अनुसार आरबीआई ने सोना भारत में स्थानांतरित करने का फैसला इसलिए लिया है क्यों क्योंकि देश के बाहर रखे गए भारत के सोने का स्टॉक लगातार बढ़ रहा था। फिलहाल इस मामले में भारतीय रिजर्व बैंक ने आधिकारिक तौर पर कोई टिप्पणी नहीं कही है।
भारत के केंद्रीय बैंक ने ब्रिटेन से 100 मीट्रिक टन (1 लाख किलोग्राम) से थोड़ा अधिक सोना अपने घरेलू वॉल्ट में स्थानांतरित कर दिया है। एक समाचारपत्र ने सूत्रों के हवाले से शुक्रवार को यह खबर दी है। रिपोर्ट्स के अनुसार 1991 के आर्थिक संकट के बाद पहली बार इतने सोने को ब्रिटेन से भारत मंगाया गया है। भारत को 1991 में आर्थिक संकट के दौरान अपना सोना विदेशों में गिरवी रखना पड़ा था।
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले महीनों में देश में इतनी ही मात्रा में और कीमती धातु आ सकती है, यह कदम लॉजिस्टिक कारणों और विविध भंडारण के लिए उठाया गया है।
भारतीय रिजर्व बैंक के पास मार्च के अंत तक 822.10 टन सोना था, जिसमें से 408.31 टन सोने को घरेलू स्तर पर यानी देश में रखा गया है। बाकी सोना विदेशों में रखे गए हैं। आरबीआई ने पिछले वित्तीय वर्ष में अपने सोने के भंडार में 27.5 टन की बढ़ोतरी की है।
हाल के दिनों में वैश्विक स्तर पर केंद्रीय बैंक अपने सोने के भंडार में वृद्धि कर रहे हैं, यह कदम अक्सर मुद्रा अस्थिरता और भू-राजनीतिक जोखिमों खिलाफ बचाव के रूप में रणनीतिक तौर पर उठाया जाता है। रिपोर्ट के अनुसार आरबीआई ने सोना भारत में स्थानांतरित करने का फैसला इसलिए लिया है क्यों क्योंकि देश के बाहर रखे गए भारत के सोने का स्टॉक लगातार बढ़ रहा था। फिलहाल इस मामले में भारतीय रिजर्व बैंक ने आधिकारिक तौर पर कोई टिप्पणी नहीं कही है।
आरबीआई को साल 1991 में उस समय कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा जब उसे अपने सोने के भंडार का एक हिस्सा गिरवी रखने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि देश विदेशी मुद्रा संकट से गुजर रहा था। 1991 के बाद यह पहली बार है जब भारत ने इतने भारी पैमाने पर देश में सोना स्थानांतरित किया है।
सूत्रों ने बताया कि है आरबीआई ने यह कदम लॉजिस्टिक कारणों के साथ-साथ स्टोरेज की विविधता के लिए उठाया है। घरेलू स्तर पर सोने को आरबीआई के मुंबई मिंट रोड और नागपुर स्थित पुराने कार्यालय भवन में स्थित तहखानों में रखा जाता है।