इसके बाद बसपा दल के नेता सुनील कुमार चित्तौड़ ने कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में धर्म विशेष और बसपा के सदस्य होने के चलते महमूद अली को परेशान किया जा रहा है। फोन पर एसडीएम ने उनके साथ अभद्रता की।
विधान परिषद तक का उनका खाता सीज कर दिया गया है। घर पर कुर्की नोटिस चस्पा कर दिया गया है।
सपा के उमर अली खान व शिक्षक दल के हेम सिंह पुंडीर ने कहा कि किसी भी सदस्य का इस तरह से उत्पीड़न कि वह सदन में भी अपनी बात नहीं रख पा रहा है, सदन और सदस्य की गरिमा के प्रतिकूल है। सदस्यों ने उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार ठहराए जा रहे अधिकारियों को सदन में तलब करने की मांग भी की।
नेता सदन डॉ. दिनेश शर्मा ने कहा कि महमूद अली और अन्य सबंधित पक्ष हाईकोर्ट गए, वहां से अवैध खनन (291 करोड़) की 50 फीसदी राशि कोर्ट में जमा करने के लिए कहा गया है। हालांकि, इस पक्ष ने अपनी याचिका वापस ले ली है।
अभी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। इसलिए सदन के स्तर से कोई भी कार्रवाई उचित नहीं है। स्थानीय प्रशासन कोर्ट के आदेश के तहत काम कर रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी सदस्य के खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई नहीं होने देगी।
इस पर सपा के शतरुद्र प्रकाश ने कहा कि सदस्य के वेतन भत्तों वाले खाते पर रोक लगाना जनहित के खिलाफ है। नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन ने कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, तो उसका आदेश आने तक हमें इंतजार करना चाहिए।
कांग्रेस के दिनेश सिंह ने मामला विशेषाधिकार समिति को सौंपने का मांग की। अंत में सभापति रमेश यादव ने मामले को विशेषाधिकार समिति को सौंपने की सदन में घोषणा की। साथ ही कहा कि इस मामले में वे नेता सदन, नेता प्रतिपक्ष और सदस्य महमूद अली को एक साथ बैठाकर अलग से बात भी करेंगे।