नई दिल्ली:लोकसभा चुनाव 2019 की मतगणना जारी है। सुबह 9.25 बजे तक आए 449 सीटों के रुझानों में बीजेपी ने 284 सीटों पर बढ़त बनाते हुए बहुमत का आंकड़ा हासिल कर लिया जबकि कांग्रेस 102 तो अन्य 63 सीटों पर अन्य आगे रहे। शुरुआती रुझानों से ही बीजेपी देशभर में बढ़त बनाए हुए है जबकि कांग्रेस पीछे चल रही है।
बड़ी बात यह है कि सुबह 9.22 बजे तक रुझानों में अमेठी सीट पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 2000 वोटों से पीछे चल रहे थे। स्मृति ईरानी यहां उनसे आगे चल रहीं जबकि 9 बजे तक के रुझानों में राहुल गांधी 2000 वोटों से पीछे चल रहे थे। इससे पहले सुबह 8.45 तक के आए रुझानों में अमेठी सीट पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी 19 वोटों से पीछे थे। वाराणसी सीट पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगे चल रहे हैं। लखनऊ से बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजनाथ सिंह आगे चले रहे हैं जबकि भोपाल से साध्वी प्रज्ञा आगे चल रही हैं।
गुजरात के गांधी नगर से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह आगे चल रहे हैं। रायबरेली सीट पर सोनिया गांधी ने बढ़त बना ली थी। सुबह 8.30 बजे तक राजस्थान में बीजेपी 16, कांग्रेस 1 सीट पर आगे चल रही थी। मध्य प्रदेश में चार सीटों पर बीजेपी जबकि एक सीट पर कांग्रेस आगे थी। उत्तर प्रदेश से आए शुरुआती रुझानों में बीजेपी 18 सीटों पर बीजेपी, जबकि 5 पर महागठबंधन आगे चल रहा है। बिहार से आए शुरुआती रुझानों में बीजेपी 2 सीटों पर आगे थी। सुबह आठ बजे से देशभर के मतगणना केद्रों पर मतगणना शुरू हुई। कहा जा रहा है कि ईवीएम,वीवीपीएटी पर्चियों के मिलान की वजह से रिजल्ट की घोषणा में कुछ घंटों की देरी हो सकती है।
लोकसभा चुनाव में पहली बार ईवीएम के मतों का सत्यापन करने के लिये वीवीपीएटी की पर्चियों से मिलान किये जाने के कारण चुनाव परिणाम घोषित होने में थोड़ा विलंब होने की आशंका से चुनाव आयोग ने इंकार नहीं किया। उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में किसी एक विधानसभा क्षेत्र के किन्हीं पांच मतदान केन्द्रों की वीवीपीएटी मशीनों की पर्चियों का मिलान ईवीएम के मतों से किया जायेगा। इस बाध्यता का हवाला देते हुये आयोग के एक अधिकारी ने कहा कि देर शाम तक परिणाम आने की संभावना है।
कहते हैं कि दिल्ली की सत्ता का रास्ता यूपी से होकर गुजरता है। इसी यूपी से अगर पिछली बार बीजेपी को आशातीत सफलता मिली तो इस बार उसकी सियासी राह को रोकने के लिए यहां के दो बड़े दल सपा बसपा एक साथ आ गए। 2019 के चुनाव का यदि समग्र रूप से विश्लेषण किया जाए तो पाएंगे कि इस बार विपक्ष की तरफ से यही सबसे बड़ा प्रयोग था। इसलिए 23 मई को इस गठबंधन का भी लिटमेस टेस्ट होगा।
यदि सपा,बसपा,रालोद गठबंधन किसी भी तरह बीजेपी के रथ को रोकने में कामयाब होता है तो ये सियासी परिदृश्य को बदलने का माद्दा रखता है लेकिन यदि ये गठबंधन विफल होता है तो इन दलों के सियासी अस्तित्व पर संकट उत्पन्न हो सकता हैण् उसका नतीजा ये भी होगा कि जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए बनाए गया गठबंधन ब्रांड मोदी के सामने ठहर नहीं पाया। इसी तरह पिछली बार महज 44 सीट जीतने वाले कांग्रेस के पास सामने बड़ी चुनौती कम से कम तीन अंकों में पहुंचने की होगी। वैसा होने की स्थिति में ही वह क्षेत्रीय क्षत्रपों के साथ विपक्ष की केंद्रीय धुरी बनने की स्थिति में होगी।