इंटरनेशनल डेस्क. अमेरिका समेत पूरी दुनिया में खलबली मचा देने वाली रूस की सबसे खतरनाक न्यूक्लियर मिसाइल SATAN-2 की पहली बार फोटोज सामने आई हैं। प्रति सेकंड 7 किलोमीटर की स्पीड से चलने वाली इस मिसाइल की रेंज 10 हजार किमी है। यानी की एक वार में यह फ्रांस के आकार के बराबर की जमीन तबाह कर सकती है। इसकी स्पीड के आगे अमेरिकी एंटी-मिसाइल सिस्टम फेल हो जाएंगे। मीडिया में SATAN-2 की फोटोज पहले भी आ चुकी हैं, लेकिन रूस के मैकेयेव रॉकेट डिजाइन ब्यूरो द्वारा ये फोटोज पहली बार ही रिलीज की गई हैं।
नाटो ने दिया है मिसाइल को ‘SATAN-2’ नाम
दिलचस्प बात ये है कि रूस की इस नई मिसाइल को SATAN-22 नाम रूस ने नहीं, बल्कि 28 देशों के गुट नाटो ने दिया है। रूस में इसे RS 28-SARMAT कहा जाता है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, रूस की इस मिसाइल के आगे जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए एटम बम खिलौना हैं।
नाटो के चलते रूस बना रहा है तबाही मचाने वाली मिसाइल
नाटो में कमांडर बाल्टिक फोर्स जनरल बेन हॉजेस के मुताबिक, रूस 28 देशों के गठबंधन नाटो से चिढ़ा हुआ है। इसी के चलते रूस लगातार न्यूक्लियर मिसाइल तैयार कर अपनी सीमाओं पर तैनात कर रहा है। अगर रूस ने हमला किया तो नाटो बाल्टिक इलाके के देशों को बचा नहीं सकता। रूस बाल्टिक देशों की राजधानियों को सिर्फ 36 घंटों में खत्म कर देगा।
नाटो में कमांडर बाल्टिक फोर्स जनरल बेन हॉजेस के मुताबिक, रूस 28 देशों के गठबंधन नाटो से चिढ़ा हुआ है। इसी के चलते रूस लगातार न्यूक्लियर मिसाइल तैयार कर अपनी सीमाओं पर तैनात कर रहा है। अगर रूस ने हमला किया तो नाटो बाल्टिक इलाके के देशों को बचा नहीं सकता। रूस बाल्टिक देशों की राजधानियों को सिर्फ 36 घंटों में खत्म कर देगा।
पुतिन ने व्यक्त की है तीसरे विश्व युद्ध की आशंका
हाल ही में इसकी आशंका रूस के प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन ने व्यक्त की थी। रिपोर्ट के मुताबिक, एडमिनिस्ट्रेशन स्टाफ, रीजनल एडमिनिस्ट्रेटर्स, लॉ मेकर्स और पब्लिक कॉर्पोरेशंस के कर्मचारियों को आदेश जारी किया गया था कि वे विदेशी स्कूलों में पढ़ रहे अपने बच्चों और वहां रह रहे अपने करीबी लोगों को तुरंत देश वापस बुला लें।
हाल ही में इसकी आशंका रूस के प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन ने व्यक्त की थी। रिपोर्ट के मुताबिक, एडमिनिस्ट्रेशन स्टाफ, रीजनल एडमिनिस्ट्रेटर्स, लॉ मेकर्स और पब्लिक कॉर्पोरेशंस के कर्मचारियों को आदेश जारी किया गया था कि वे विदेशी स्कूलों में पढ़ रहे अपने बच्चों और वहां रह रहे अपने करीबी लोगों को तुरंत देश वापस बुला लें।